लखनऊ: स्वच्छता केवल सफाई नहीं, यह एक मानसिकता है, एक संस्कृति है। और इस मानसिकता को फैलाने में अगर किसी व्यक्ति का महत्वपूर्ण योगदान है, तो वह हैं IAS इंद्रजीत सिंह, जिन्होंने लखनऊ को स्वच्छता में तीसरा स्थान दिलवाया। इंद्रजीत सिंह की मेहनत, कार्यशैली और सटीक रणनीतियों के कारण ही आज लखनऊ स्वच्छता के क्षेत्र में एक प्रेरणास्त्रोत बन चुका है।
यह कहानी एक आम सरकारी अधिकारी के प्रयासों की नहीं है, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने लखनऊ जैसे बड़े शहर को स्वच्छता के क्षेत्र में नए आयाम दिए। आइए जानते हैं इंद्रजीत सिंह की इस सफर को और उनकी कार्यशैली को, जिससे लखनऊ ने न केवल स्वच्छता का ताज पहना, बल्कि इसके परिणामस्वरूप उन्हें राष्ट्रपति से पुरस्कार भी प्राप्त हुआ।
कौन है इंद्रजीत सिंह
इंद्रजीत सिंह, जो कि 2016 बैच के IAS अधिकारी हैं, उनका जन्म पंजाब के दोआबा क्षेत्र में हुआ था। उनका सपना हमेशा से यही था कि वे न केवल अपने राज्य बल्कि पूरे देश की सेवा करें। इंद्रजीत ने अपनी सरकारी सेवा की शुरुआत बिजनौर से की, और इसके बाद उन्होंने इटावा, गोरखपुर, जैसे जिलों में भी अपनी सेवाएं दीं।
लखनऊ में अपनी नियुक्ति के बाद, उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत कई महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की। यह एक ऐसा मिशन था जो उन्हें लखनऊ को स्वच्छतम शहर बनाने के लिए प्रेरित करता था।
लखनऊ में बदलाव की कहानी
लखनऊ, जो पहले स्वच्छता के मामले में पीछे था, इंद्रजीत सिंह के नेतृत्व में एक प्रेरणास्त्रोत शहर बन गया। उनके कार्यकाल में लखनऊ नगर निगम ने कचरा प्रबंधन, स्वच्छता अभियान, और शहरी सफाई को लेकर नए कीर्तिमान स्थापित किए। इंद्रजीत सिंह ने खुद को हमेशा सभी कार्यों में सहभागी पाया, जो उन्होंने लखनऊवासियों से जुड़कर किया।
लखनऊ के शिवरी इलाके में इंद्रजीत सिंह ने कचरा प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की, जिसके चलते कूड़े के ढेर खत्म हुए और कचरा प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव आया। उन्होंने नागरिकों को स्वच्छता की अहमियत बताने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाए, जिनका असर शहर की जनता पर गहरे असर डालने वाला था।
स्वच्छता में लखनऊ का परिवर्तन
इंद्रजीत सिंह का कहना था कि स्वच्छता हर नागरिक का कर्तव्य है, और इसे घर से ही शुरू करना चाहिए। उनका मानना था कि घर के छोटे-छोटे कदमों से हम अपने शहर और समाज को साफ रख सकते हैं। उन्होंने किचन से निकलने वाले कचरे को रिसाइकिल करने का उदाहरण दिया और इस आदत को लखनऊवासियों के बीच फैलाया। उनकी रणनीतियों का ही परिणाम था कि लखनऊ स्वच्छता के क्षेत्र में देशभर में तीसरे स्थान पर आया और राज्य में सबसे स्वच्छ शहर बन गया।
राष्ट्रपति से सम्मान: एक बड़ी उपलब्धि
17 जुलाई 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान लखनऊ नगर निगम को स्वच्छता में तीसरे स्थान पर आने के लिए सम्मानित किया। इस पुरस्कार को लखनऊ के नगर विकास आयुक्त एके शर्मा, महापौर सुषमा खड़कवाल और पूर्व नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने प्राप्त किया। यह लखनऊ की स्वच्छता की दिशा में किए गए अथक प्रयासों की सफलता का प्रतीक था।
लखनऊ में हुए बड़े सुधार
इंद्रजीत सिंह ने लखनऊ में न केवल स्वच्छता बल्कि वित्तीय सुधार, कर संग्रहण और सैलरी की प्रक्रिया में भी बड़े बदलाव किए। पहले नगर निगम के कर्मचारियों को सैलरी 20 तारीख तक मिलती थी, लेकिन इंद्रजीत सिंह के प्रयासों से अब यह 1 से 5 तारीख के बीच मिलने लगी है।
इंद्रजीत सिंह ने नगर निगम के वित्तीय स्तिथि को भी बेहतर किया और कर संग्रहण बढ़ाया। इन सुधारों के जरिए लखनऊ की विकास प्रक्रिया को एक नई दिशा मिली।
लखनऊवासियों के लिए संदेश
इंद्रजीत सिंह ने स्वच्छता के महत्व को समझाते हुए लखनऊवासियों से एक महत्वपूर्ण संदेश दिया था। उनका कहना था, "स्वच्छता घर से शुरू होती है। हमें यह हमारी संस्कृति का हिस्सा बनाना होगा। हमें छोटे कदम उठाने होंगे, जैसे किचन से निकलने वाले कचरे को बाहर फेंकने की बजाय गमले में डालकर उसका खाद बनाना।"
इंद्रजीत सिंह का यह संदेश आज भी लखनऊवासियों के दिलों में बसा हुआ है। उनके द्वारा किए गए कार्यों ने न केवल लखनऊ को स्वच्छ बनाया, बल्कि पूरे राज्य को एक दिशा दी, जिस पर चलकर बाकी शहर भी अपनी स्वच्छता यात्रा को आगे बढ़ा सकते हैं।
आज लखनऊ स्वच्छता के क्षेत्र में एक आदर्श बन चुका है, और इसका श्रेय IAS इंद्रजीत सिंह की योजनाओं और कड़ी मेहनत को जाता है। उनका कार्य एक प्रेरणा है, जो हमें यह सिखाता है कि सही दिशा और कड़ी मेहनत से हम किसी भी समस्या का समाधान कर सकते हैं। इंद्रजीत सिंह की कहानी एक उदाहरण है कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी बदलाव संभव है, चाहे वह सफाई के रूप में हो या किसी और क्षेत्र में।