भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने मिलकर एक अत्याधुनिक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह विकसित किया है, जिसे 30 जुलाई 2025 को लॉन्च किया जाएगा। इस उपग्रह को भारत में निर्मित जीएसएलवी-एफ16 रॉकेट के जरिए 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जाएगा। यह उपग्रह खराब मौसम, बादलों और बारिश के बावजूद दिन-रात पृथ्वी की स्पष्ट तस्वीरें लेने में सक्षम होगा। इसका उपयोग भूस्खलन, प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की निगरानी के लिए किया जाएगा।
इसरो अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने चेन्नई हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह उपग्रह केवल भारत और अमेरिका ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी होगा। उन्होंने बताया कि इसरो फिलहाल 55 उपग्रहों का संचालन कर रहा है और आने वाले चार वर्षों में इन्हें तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित करने की योजना है। नारायणन ने सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए आदित्य एल1 मिशन की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह उपग्रह 26 जनवरी को 1.5 किलोग्राम वजन के साथ लॉन्च किया गया था और इसने सूर्य से जुड़े अहम डेटा इसरो को भेजे हैं, जिनका वैज्ञानिक विश्लेषण जारी है।
मानव मिशन की तैयारियों पर बात करते हुए नारायणन ने बताया कि इस साल दिसंबर में एक मानवरहित मिशन लॉन्च किया जाएगा। अगर यह सफल होता है, तो अगले साल दो और मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे। प्रधानमंत्री की ओर से घोषित योजना के अनुसार, मार्च 2027 में भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किया जाएगा, जिसके लिए श्रीहरिकोटा में पहला प्रक्षेपण वाहन तैयार किया जा रहा है।
इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 मिशन के प्रति भी उत्साह जताया। यह मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने लाने के लिए होगा और इसरो इसे पूरी तरह सफल बनाने को प्रतिबद्ध है। इसके बाद चंद्रयान-5 मिशन भारत और जापान का संयुक्त प्रोजेक्ट होगा, जो चंद्रमा की सतह पर 100 दिनों तक काम करेगा।