केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज सोमवार को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर कहा कि भारत इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ मजबूती से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के जरिए देशभर में लोगों की जान बचाने और बीमारी को खत्म करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह दिन लोगों में हेपेटाइटिस की जानकारी और उसकी रोकथाम के उपायों को लेकर जागरूकता फैलाने का बड़ा अवसर है।
गौरतलब है कि हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के बारे में जानकारी बढ़ाना और इससे निपटने के लिए रोकथाम, जांच और इलाज के प्रयासों को मजबूत करना होता है। जेपी नड्डा ने इस साल की थीम ‘हेपेटाइटिस : लेट्स ब्रेक इट डाउन’ पर कहा कि यह थीम उन सामाजिक रुकावटों को खत्म करने पर जोर देती है, जो इस बीमारी के उन्मूलन में बाधा बनती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक भारत हेपेटाइटिस बी और सी मामलों में चीन के बाद दुनिया में दूसरे स्थान पर है। साल 2022 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2.98 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और 55 लाख लोग हेपेटाइटिस सी से पीड़ित थे। यह संख्या वैश्विक हेपेटाइटिस मामलों का लगभग 11.6% है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि देश में हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई के लिए जागरूकता और समय पर जांच व इलाज को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि हमें नए तरीकों से लोगों को इसके रोकथाम के उपायों की जानकारी देनी होगी। भारत का राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम जांच, इलाज और बचाव की सुविधा मुहैया कराकर इस लड़ाई को मजबूती दे रहा है।
हेपेटाइटिस एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लिवर (यकृत) में सूजन आ जाती है और यह गंभीर लिवर रोग या कैंसर का रूप ले सकती है। यह बीमारी पांच प्रकार के वायरस -ए, बी, सी, डी और ई से होती है, जिनके फैलने के तरीके, गंभीरता और इलाज अलग-अलग होते हैं। विश्व हेपेटाइटिस दिवस समाज में फैले कलंक, जानकारी की कमी और इलाज तक सीमित पहुंच जैसी समस्याओं को दूर करने की जरूरत को उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय पर जांच और इलाज की सुविधा बढ़ाई जाए, तो हेपेटाइटिस बी और सी के मामलों में काफी हद तक कमी लाई जा सकती है। वैश्विक लक्ष्य है कि साल 2030 तक हेपेटाइटिस को खत्म किया जाए, जिसके लिए भारत को जांच और इलाज की पहुंच को और मजबूत करना होगा।