केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले के सीज गांव में स्थित प्रसिद्ध ‘लिविंग रूट ब्रिज’ का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने वहां की पारंपरिक पारिस्थितिक जीवनशैली की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सौ वर्षों से भी अधिक समय से इस क्षेत्र के लोग प्रकृति का सम्मान करते हुए ऐसे पुलों का निर्माण कर रहे हैं जो जीवित वृक्षों की जड़ों से बनाए जाते हैं और पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। सीतारमण ने कहा कि यह संस्कृति स्थायी गतिशीलता को बढ़ावा देती है और यह एक सशक्त उदाहरण है कि कैसे पारंपरिक ज्ञान वैश्विक समस्याओं का समाधान दे सकता है।
इस अवसर पर वित्त मंत्री ने गांव के बुजुर्गों, स्थानीय नेताओं और ‘पेमेंट फॉर इकोसिस्टम सर्विसेज प्रोग्राम’ के लाभार्थियों से बातचीत की। यह कार्यक्रम विश्व बैंक, केएफडब्ल्यू और एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) के सहयोग से चलाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी समुदायों द्वारा सदियों से अपनाई जा रही पारिस्थितिक परंपराओं का संरक्षण करना है। सीतारमण ने लिविंग रूट ब्रिज को न केवल प्रभावशाली बल्कि दोहराए जाने योग्य बताया और कहा कि इस मॉडल को दुनिया के सामने लाने के लिए यूनेस्को से मान्यता प्राप्त करना जरूरी है, ताकि यह दिखाया जा सके कि भारत ने यह कार्य पहले ही कर दिखाया है।
वित्त मंत्री ने उन बुजुर्गों की भी सराहना की जिन्होंने वर्षों से इन पुलों की देखभाल की है। उन्होंने इस पारंपरिक सामंजस्य को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्थायी जीवनशैली की सोच का सजीव उदाहरण बताया और कहा कि मेघालय के लोग पहले से ही इस दिशा में काम कर रहे हैं। सीतारमण ने कहा कि यह न केवल पर्यावरणीय संतुलन का उदाहरण है बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा भी है। अपने दौरे के दौरान केंद्रीय मंत्री ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’ (वीवीपी) के तहत ईस्ट खासी हिल्स जिले के सीमावर्ती गांव सोहबर का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि सोहबर जैसे सीमावर्ती गांव भारत की सीमाएं नहीं, बल्कि शुरुआत हैं, और इन्हें प्राथमिकता के साथ विकास देना जरूरी है क्योंकि ये हमारे देश की आंखें और कान हैं। उन्होंने बताया कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का दूसरा चरण अब पूर्वोत्तर भारत के सीमावर्ती इलाकों में भी विस्तार पा रहा है।
सोहबर में वित्त मंत्री ने विकास से जुड़े चार प्रमुख क्षेत्रों की घोषणा की जिनमें बेहतर सड़कें, डिजिटल और दूरसंचार कनेक्टिविटी, टीवी कवरेज और बिजली की पहुंच शामिल है। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सुधार से सीमावर्ती गांवों का समावेशी और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और ग्रामीण सशक्तिकरण दोनों को बल मिलेगा।-