दिवाली से ठीक पहले यूपी की जनता को बिजली विभाग के एक नए आदेश ने मुश्किल में डाल दिया है। ऊर्जा विभाग ने नए कनेक्शन के साथ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने पर 6016 रुपये की अनिवार्य फीस तय की है। जबकि केंद्र सरकार की RDSS योजना के अनुसार ये मीटर मुफ्त लगाए जाने थे। बिना नियामक आयोग की अनुमति के इस वसूली से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है, जिससे कई लोग अब नया कनेक्शन लेने से वंचित रह रहे हैं।
गरीब परिवारों पर असर
उत्तर प्रदेश उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने इसे गरीबों के साथ नाइंसाफी बताया। वर्मा के अनुसार, विभाग बिना अनुमति के छह गुना अधिक शुल्क वसूल रहा है, जो पूर्णतः अवैध है। उन्होंने बताया कि 10 सितंबर से अब तक 1,74,878 नए कनेक्शन के आवेदन आए, जिनमें से:
56,251 कनेक्शन जारी किए गए
34,737 आवेदन विचाराधीन हैं
23,192 ने पैसे जमा किए, फिर भी कनेक्शन नहीं मिला
37,043 गरीब परिवार ऐसे हैं जो 6 गुना बढ़ा शुल्क नहीं दे पा रहे, इसलिए कनेक्शन से वंचित हैं
पुरानी और नई दरें
पहले: 1 किलोवाट कनेक्शन की कीमत 1,032 रुपये
अब: 1 किलोवाट कनेक्शन की कीमत 6,400 रुपये, जिसमें 6,016 रुपये प्रीपेड मीटर शुल्क शामिल है
उपभोक्ता परिषद की चेतावनी
अवधेश वर्मा ने चेतावनी दी है कि अगर ऊर्जा विभाग ने अवैध प्रीपेड मीटर वसूली नहीं रोकी तो उपभोक्ता परिषद आंदोलन छेड़ेगी। उनका कहना है कि यह फैसला प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री के क्षेत्रों के गरीबों के साथ पूरे प्रदेश के गरीबों को प्रभावित कर रहा है और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।
परिवारों की बढ़ी परेशानी
ऐसे कई परिवार हैं जिन्होंने पुराने दर पर कनेक्शन के लिए आवेदन कर रखा था, लेकिन नए शुल्क के बारे में जानने के बाद उन्हें पैसे जुटाने में मुश्किल हो रही है। ऐसे में दिवाली से पहले उनके घरों में उजियारा होना मुश्किल दिखाई दे रहा है।