भारत सरकार की नई E20 (20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल) नीति को लेकर देशभर के वाहन चालकों में भारी नाराजगी फैल रही है। सोशल मीडिया पर लाखों यूजर्स इंजन क्षति, माइलेज में कमी और बढ़ते मेंटेनेंस खर्च की शिकायतें कर रहे हैं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, जो इथेनॉल नीति के प्रमुख समर्थक रहे हैं, ने इन आरोपों को 'कोरी अफवाह' और 'पेट्रोल लॉबी का भ्रामक प्रचार' बताया है। उन्होंने साफ कहा कि E20 से किसी वाहन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। वहीं, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी दावा किया कि इथेनॉल-मिश्रित ईंधन वाहनों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालता। लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह नीति वाकई किसानों और आम जनता को फायदा पहुंचा रही है या सिर्फ चीनी मिलों और कुछ कंपनियों की जेब भर रही है?
इथेनॉल नीति से किसानों को कितना फायदा?
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम से किसानों को पिछले तीन वर्षों (2021-2024) में 57,552 करोड़ रुपये की आय हुई है। वहीं, 2014 से 2024 तक इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि से किसानों को 1,04,419 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त कमाई हुई। 2024-25 में 20% ब्लेंडिंग से किसानों को 40,000 करोड़ रुपये का भुगतान होने का अनुमान है। गडकरी अक्सर इन आंकड़ों का हवाला देकर कहते हैं कि इससे पेट्रोल आयात घटा और किसानों के पास 'लाखों करोड़' पहुंचे।
हालांकि, विशेषज्ञ और उपभोक्ता सर्वे इसकी हकीकत पर सवाल उठा रहे हैं। वास्तविकता यह है कि फायदा मुख्य रूप से चीनी मिलों को हो रहा है। किसानों को गन्ने की फसल के बदले भुगतान में थोड़ी तेजी आई है, क्योंकि इथेनॉल से मिलों को पैसा जल्दी मिल जाता है, लेकिन इथेनॉल के नाम पर उन्हें अलग से कोई आर्थिक लाभ नहीं। आज भी करोड़ों रुपये चीनी मिलों के पास किसानों के बकाया पड़े हैं। NITI आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, इथेनॉल से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 65% तक कम होता है, लेकिन किसानों की आय में गुणात्मक सुधार के दावे हवा-हवाई लगते हैं। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि गडकरी एक 'इथेनॉल फंड' बनवाकर मिलों को मिलने वाला लाभ सीधे किसानों तक पहुंचा सकते हैं।
सोशल मीडिया पर भ्रष्टाचार के आरोप
सोशल मीडिया पर E20 नीति को लेकर सबसे बड़ा विवाद CIAN Agro Industries का है। X (पूर्व ट्विटर) पर यूजर्स का आरोप है कि यह कंपनी परंपरागत रूप से इथेनॉल उत्पादक नहीं थी, लेकिन फरवरी 2024 में इस क्षेत्र में कूद पड़ी। इसके बाद E20 को तेजी से बढ़ावा मिला। कंपनी का राजस्व 28 गुना और मुनाफा 100 गुना बढ़ गया। शेयर प्राइस एक साल पहले ₹41 से बढ़कर अक्टूबर 2025 में ₹668 (और बाद में ₹2,846 तक) पहुंच गया, जो 1,900% की तेजी है।
यह पूरा मामला ऐसे समय में गरमाया है जब देश भर में इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के वाहनों पर पड़ने वाले प्रभाव और सरकार के E20 पेट्रोल पर जोर देने को लेकर बहस छिड़ी हुई है.
पुरानी कारों पर ज्यादा असर
LocalCircles सर्वे के अनुसार, 80% पेट्रोल वाहन मालिकों ने बताया कि E20 से माइलेज 2-6% (कुछ केस में 15-20%) कम हो गया। 2023 से पहले खरीदी गई 50% से अधिक कारों के मालिकों का मेंटेनेंस खर्च बढ़ा। ऑटो विशेषज्ञों का कहना है कि इथेनॉल रबर सील, ईंधन पाइप और इंजन में जंग लगाने का कारण बन सकता है। ARAI टेस्ट में पुरानी कारों पर 6% माइलेज ड्रॉप पाया गया। गडकरी ने 'ओपन चैलेंज' दिया कि कोई एक वाहन दिखाओ जो E20 से खराब हुआ हो, लेकिन सर्वे में शिकायतें जुलाई-अक्टूबर 2025 में चरम पर रहीं।
पेट्रोल कीमतों में राहत ना मिलना दुखद
गडकरी का दावा है कि इथेनॉल ₹65.60/लीटर पर मिल रहा है (पेट्रोल ₹95-100/लीटर), जो सस्ता विकल्प है। लेकिन उपभोक्ताओं को E20 भी पुरानी कीमत पर ही मिल रहा है कोई कमी नहीं। अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल सस्ता होने के बावजूद पेट्रोल के दाम स्थिर हैं, जिससे लगता है कि ब्लेंडिंग का फायदा सरकार हड़प रही। 2014 से E20 से 1.36 लाख करोड़ का विदेशी मुद्रा बचत हुई, लेकिन जनता को 'भगवान भरोसे' छोड़ दिया गया।