कोच्चि। कोरोना वायरस के बाद दक्षिण भारत के केरल में निपाह के संभावित प्रकोप की आंशका जाहिर की गई है। यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में और दूषित भोजन या सीधे मानव-से-मानव संपर्क के माध्यम से फैलता है। वायरस के लिए ऊष्मायन अवधि पांच से 14 दिनों तक होती है जिसके बाद लक्षण दिखाई देने लगते हैं। राष्ट्रीय संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के सलाहकार डॉ नरेश पुरोहित ने कहा कि निपाह वायरस में मृत्यु दर बहुत अधिक है जो मनुष्यों में 40 से 75 प्रतिशत तक है।
हाल ही में मलप्पुरम के चेट्टियारंगडी की 18 वर्षीय लड़की की मौत की पुष्टि पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने निपाह संक्रमण के कारण हुई थी, जबकि पलक्कड़ जिले के थचनट्टुकारा की 38 वर्षीय महिला भी इस वायरस से संक्रमित पाई गई थी। केरल में वायरस के फिर से उभरने के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में निपाह वायरस से संक्रमित दो व्यक्तियों की संपर्क सूची में 383 लोग हैं। इनमें से 12 का मलप्पुरम जिले में इलाज चल रहा है, जिनमें से पांच आईसीयू में हैं, जबकि चार अन्य का पलक्कड़ जिले में आइसोलेशन में इलाज चल रहा है।
वायरस से बचाव का नहीं कोई टीका
इस बीच राष्ट्रीय एकीकृत रोग निगरानी नियंत्रण कार्यक्रम के प्रमुख अन्वेषक डा पुरोहित ने कहा कि इस वायरस का अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए लोगों से यह आग्रह किया जाता है कि वे सावधानी बरतें। उनका भोजन चमगादड़ों से दूषित न हो। गौरतलब है कि केरल में निपाह संक्रमण का पहला मामला 2018 में आया था जिसके बाद 17 लोगों की मृत्यु हुई थी। इनमें 18 मामलों में निपाह वायरस की पुष्टि हुई थी।
क्या हैं लक्षण?
निपाह के लक्षण इन्फ्लूएंजा वायरस के समान हैं। इसमें बुखार, सिरदर्द, बेहोशी और मतली शामिल हैं। कुछ मामलों में घुटन, पेट दर्द, उल्टी, थकान और धुंधली दृष्टि जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। लक्षण शुरू होने के दो दिन बाद ही मरीज कोमा में जा सकता है। इसके कारण मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले एन्सेफलाइटिस के संक्रमण की आशंका भी अधिक होती है।
ऐसे करें बचाव
डॉ. पुरोहित ने इस बात पर जोर दिया कि वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद खुद को सुरक्षित रखना भी महत्वपूर्ण है। रोगी से दूरी बनाए रखना और हाथों को अच्छी तरह से साफ करना और धोना महत्वपूर्ण है। कपड़े, बर्तन और शौचालय या बाथरूम में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे बाल्टी और मग को अलग से साफ किया जाना चाहिए और स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। हाथों को हमेशा साबुन या अल्कोहल वाले ‘हैंड रब’ से साफ रखना चाहिए। हाथों को कम से कम बीस सेकंड तक साबुन से धोना चाहिए।