भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement – CETA) पर हुए हस्ताक्षर केवल एक कागजी करार नहीं, बल्कि यह 21वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की भूमिका को और मजबूत करने वाला एक ऐतिहासिक कदम है। यह डील भारत-ब्रिटेन संबंधों में व्यापारिक विश्वास, रणनीतिक समानता और सामाजिक समावेश की वह नींव है जिस पर भविष्य की आर्थिक इमारत खड़ी होगी।
ऐतिहासिक डील, अपार संभावनाएं
CETA को भारत और ब्रिटेन के बीच अब तक की सबसे बड़ी व्यापारिक डील कहा जा रहा है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब पूरी दुनिया एक अधिक संतुलित, विविध और समावेशी वैश्विक व्यापार व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। यह सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसानों, महिलाओं, युवाओं, एमएसएमई और पेशेवरों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलता है। यह डील ऐसे वक्त में हुई है जब दुनिया के अनेक हिस्सों में व्यापार संधियों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन अपने वैश्विक व्यापार साझेदारों की ओर नए सिरे से देख रहा था और भारत जैसे उभरते बाजार के साथ दीर्घकालिक समझौता उसकी प्राथमिकता में था। वहीं भारत भी ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के तहत अपने उत्पादों और सेवाओं को वैश्विक बाजार में ले जाने के लिए रणनीतिक साझेदारियों की तलाश कर रहा था। इस समझौते ने दोनों देशों की आर्थिक आकांक्षाओं को एक साझा मंच पर लाकर खड़ा कर दिया है।
किन क्षेत्रों को मिलेगा फायदा?
यह समझौता वस्त्र, आईटी, फार्मास्युटिकल्स, कृषि उत्पाद, शिक्षा, वित्तीय सेवाओं और लॉजिस्टिक्स जैसे कई प्रमुख क्षेत्रों को सीधे लाभ पहुंचाएगा। खास बात यह है कि भारत की ओर से यह सुनिश्चित किया गया है कि MSMEs और ग्रामीण उद्योगों को भी इस साझेदारी से लाभ मिले। इसका एक बड़ा असर यह होगा कि भारत के पारंपरिक और स्थानीय उत्पादों को अब ब्रिटिश बाजार में प्राथमिकता मिल सकेगी, जिससे न केवल निर्यात बढ़ेगा बल्कि ग्रामीण और कुटीर उद्योगों को नई जान भी मिलेगी।
रोजगार और युवा शक्ति के लिए सुनहरा अवसर
यह समझौता न केवल व्यापार बढ़ाएगा, बल्कि इससे भारत के युवाओं को ब्रिटेन में पेशेवर अवसर मिलने का रास्ता भी खुलेगा। दोनों देशों के बीच स्किल डेवेलपमेंट और एजुकेशन सेक्टर में सहयोग बढ़ेगा। इससे भारत के तकनीकी विशेषज्ञों, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और अन्य क्षेत्रों के युवा ब्रिटेन के कार्यबल का हिस्सा बन सकेंगे।
किसानों और महिलाओं को कैसे मिलेगा लाभ?
भारतीय कृषि उत्पादों- जैसे ऑर्गेनिक चाय, मसाले, और फल-सब्जियों को ब्रिटेन के सुपरमार्केट्स तक पहुंचाने के लिए अब और कम टैक्स और सरल प्रक्रिया लागू होगी। इससे किसानों की आय में प्रत्यक्ष वृद्धि की संभावना है। दूसरी ओर, महिला उद्यमियों को भी हैंडीक्राफ्ट्स, टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में ब्रिटिश बाजार में प्रवेश करने का बड़ा अवसर मिलेगा।
समावेशी विकास की दिशा में कदम
इस समझौते की खासियत यह है कि यह केवल मुनाफे के आधार पर नहीं, बल्कि समावेशी विकास (Inclusive Growth) की सोच पर आधारित है। इसमें पारदर्शिता, पर्यावरणीय सरोकार, और सामाजिक न्याय के सिद्धांत भी शामिल किए गए हैं। ऐसे में यह समझौता टिकाऊ विकास लक्ष्यों (SDGs) की ओर भी एक व्यावहारिक पहल है।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की विजय
भारत और ब्रिटेन के बीच इस डील को संभव बनाने में दोनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व की दूरदृष्टि की अहम भूमिका रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने इस करार को केवल आर्थिक सौदा न मानकर, इसे एक रणनीतिक साझेदारी के रूप में देखा है, जो दोनों देशों को भू-राजनीतिक स्तर पर भी एक नई ताकत देगा।
क्यों है ऐतिहासिक है यह डील?
भारत-यूके FTA का यह नया अध्याय केवल दो देशों के बीच व्यापारिक संबंधों का विस्तार नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता, वैश्विक नेतृत्व और समावेशी विकास की नीतियों की एक सफल परिणति है। यह समझौता भारत के लिए इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि इससे न केवल आर्थिक लाभ मिलेगा, बल्कि सामाजिक और रणनीतिक रूप से भी यह भारत को मजबूत करेगा। आज जब दुनिया संरक्षणवाद की ओर झुक रही है, भारत और ब्रिटेन का यह सहयोग एक सकारात्मक संकेत देता है कि सहयोग, समावेश और स्थायित्व ही भविष्य की वैश्विक व्यवस्था के स्तंभ होंगे और भारत, अब सिर्फ उसका हिस्सा नहीं रहेगा बल्कि नेतृत्व करेगा।