अगर आपके कानों में बिना किसी बाहरी शोर के लगातार घंटी या सीटी जैसी आवाज सुनाई देती है तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। यह टिनिटस (Tinnitus) नामक बीमारी का लक्षण हो सकता है जिसमें सिर्फ मरीज को ही यह आवाज सुनाई देती है। अक्सर लोग इसे मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं लेकिन यही लापरवाही धीरे-धीरे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है जिसमें बहरापन और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर शामिल है।
क्या हैं इस बीमारी के कारण?
डॉक्टरों के मुताबिक टिनिटस मुख्य रूप से कान की नस में गड़बड़ी की वजह से होता है। हालांकि इसके और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे:
कान में ब्लॉकेज या इन्फेक्शन
: हियरिंग लॉस (सुनने की क्षमता में कमी)
: साइनस और हार्मोनल बदलाव
: थायराइड की समस्या या ब्रेन ट्यूमर
: दिल की बीमारियां और सर्कुलेटरी इन्फेक्शन
डेनमार्क यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में यह भी सामने आया है कि ट्रैफिक का शोर भी टिनिटस का एक बड़ा कारण है। जिन लोगों का घर व्यस्त सड़कों के पास होता है या जो लोग लगातार शोर वाले माहौल में काम करते हैं (जैसे कैब ड्राइवर या डिलीवरी बॉय) उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।
टिनिटस के खतरे और लक्षण
अगर टिनिटस का समय पर इलाज न कराया जाए तो यह सुनने की क्षमता को पूरी तरह खत्म कर सकता है। कुछ गंभीर मामलों में यह फेशियल पैरालिसिस का कारण भी बन सकता है। इसके लगातार बने रहने से मरीज डिप्रेशन और तनाव का शिकार हो सकता है जिससे आत्महत्या के विचार भी आने लगते हैं।
क्या है इसका इलाज?
टिनिटस का कोई पक्का इलाज अभी तक नहीं है लेकिन कुछ थेरेपी और दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
साउंड बेस्ड थेरेपी: इसमें बाहरी आवाज को बढ़ाकर कान की आंतरिक आवाज को कम किया जाता है।
बिहेवियरल थेरेपी: कॉग्निटिव थेरेपी तनाव, डिप्रेशन और नींद न आने जैसी समस्याओं से जुड़े टिनिटस में कारगर होती है।
दवाएं और योग: डॉक्टर एंटी-एंग्जायटी और एंटी-डिप्रेशन दवाएं भी दे सकते हैं। इसके अलावा योग और मेडिटेशन भी इसे कम करने में मदद कर सकते हैं।