महिलाओं में कैंसर का खतरा वैश्विक स्तर पर गंभीर रूप ले रहा है, खासकर मध्यम और निम्न आय वाले देशों में। हाल ही में प्रकाशित एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि इन देशों में 80 फीसदी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर का पता देर से चलता है। इसका मतलब यह है कि केवल 20 फीसदी महिलाओं को कैंसर की शुरुआती अवस्था में जानकारी मिल पाती है। वहीं, अमीर देशों में पांच में से तीन से चार महिलाओं को जल्दी निदान हो जाता है।
39 देशों की 2.75 लाख महिलाओं पर अध्ययन
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन की रिसर्च टीम ने ‘वीनसकैंसर’ नामक अध्ययन के तहत 39 देशों की 2,75,000 से अधिक महिलाओं के केस का विश्लेषण किया। इसमें निदान की समयावधि, अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों का पालन और इलाज के तरीके शामिल किए गए।
ओवेरियन कैंसर सबसे खतरनाक
अध्ययन में पाया गया कि डिम्बग्रंथि (ओवेरियन) कैंसर में सबसे कम शुरुआती पहचान होती है। केवल 20 फीसदी महिलाओं को शुरुआती स्टेज में इसका पता चलता है। इसे ‘खामोश हत्यारा’ कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण जैसे पेट दर्द, सूजन या अनियमित पेट संबंधी समस्याएं देर से नजर आती हैं, जिससे इलाज भी देर से शुरू होता है।
बुजुर्ग महिलाओं का खतरा ज्यादा
अध्ययन में यह भी सामने आया कि बुजुर्ग महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार इलाज मिलने की संभावना कम होती है। वहीं युवा महिलाओं को शुरुआती स्टेज में सर्जरी और इलाज अधिक मिलता है।
गरीब देशों में मेटास्टेटिक कैंसर ज्यादा
मेटास्टेटिक ब्रेस्ट कैंसर, जो शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाता है, अमीर देशों में केवल 10% से भी कम होता है, जबकि गरीब और मध्यम आय वाले देशों में यह 2% से 44% तक पाया गया।
विशेषज्ञों की सलाह
प्रोफेसर अल्लेमानी ने कहा कि सरकारों को महिलाओं में कैंसर की पहचान और इलाज के लिए कैंसर नियंत्रण योजनाओं में निवेश करना चाहिए। साथ ही देश में कैंसर रिकॉर्ड सिस्टम बनाकर महिलाओं के निदान और इलाज की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। यह अध्ययन WHO की ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर समाप्त करने की योजनाओं में भी मदद करेगा।