सिरसा।(सतीश बंसल)। एआई सिर्फ तकनीक के क्षेत्र में प्रचलित शब्द नहीं है। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित विभिन्न क्षेत्रों में एक शक्तिशाली शब्द है। एआई के विकास ने रोगों का पता लगाने और रोकने के लिए नए रास्ते खोले हैं, जो पैटर्न और जोखिम कारकों की पहचान करने, बीमारियों की भविष्यवाणी करने और रोगियों की बीमारी के डेटा की विशाल मात्रा का विश्लेषण करने की क्षमता रखता है। ये कहना है सिरसा निवासी इंजीनियर मोनिका, असिस्टेन्ट प्रोफेसर, कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी, मोहाली का। उन्होंने कहा कि एआई ने स्वास्थ्य सेवा सहित लगभग हर क्षेत्र में अपनी जगह बना ली है। स्वास्थ्य क्षेत्र में एआई की भूमिका डेटा विश्लेषण और पैटर्न पहचान से लेकर रोगों की रोकथाम के लिए पूर्वानुमान मॉडल बनाने की है। आज के 70 प्रतिशत से ज्यादा चिकित्सा निर्णय प्रयोगशाला परीक्षणों के नतीजों पर आधारित होते हैं। ये परीक्षण कैंसर, यकृत रोग, ब्रेन स्ट्रोक और कोविड-19 जैसी जटिल बीमारियों की समय पहले से पहचान करने के लिए किए जाते हैं । बीमारी के शुरुआती लक्षण अक्सर प्रयोगशाला परीक्षण के नतीजों में स्पष्ट होते हैं, इसलिए एआई तकनीक का लाभ उठाने वाले पूर्वानुमान मॉडल गंभीर बीमारियों की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, वो भी शारीरिक लक्षणों के प्रकट होने से पहले।
प्रयोगशाला डेटा को एकीकृत करके, नियमित प्रयोगशाला परिणामों को अन्य रोगी जानकारी जैसे कि आयु, लिंग आदि के साथ जोड़ा जा सकता है, ताकि इसे रोग-विशिष्ट एआई मॉडल में उपयोग किया जा सके। दूसरा यह विशिष्ट डेटा चिकित्सकों को संभावित रोगों के जोखिम या निदान के बारे में सचेत करने में मदद करता है। एआई मॉडल जटिल चिकित्सा डेटा, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड, आनुवंशिक जानकारी और यहां तक कि सोशल मीडिया ट्रेंड भी शामिल हैं, को छानकर ऐसे पैटर्न की पहचान कर सकते हैं, जो किसी प्रकोप के शुरुआती चरणों या किसी नई बीमारी की उपस्थिति का संकेत दे सकते हैं।
एआई भविष्यवाणी कर सकता है कि कोई बीमारी कहां और कब फैल सकती है, ताकि निवारक उपाय किए जा सकें। कोविड-19 महामारी के दौरान, एआई मॉडल ने वायरस के प्रसार की भविष्यवाणी करने और सरकारों को संसाधनों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रयोग करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एआई मॉडल ने अस्पताल के बिस्तरों की उपलब्धता, वेंटिलेटर की आवश्यकता और अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों का पूर्वानुमान लगाने में मदद की, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि स्वास्थ्य सेवा प्रणालियां मामलों में उछाल के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो सकें।