अमृतसर/चंडीगढ़ : पंजाब में नई लैंड पूलिंग नीति के विरोध में आज किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के आह्वान पर 15 जिलों में विशाल मोटरसाइकिल रैलियां निकाली जा रही हैं। किसानों ने सरकार पर कॉर्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी उपजाऊ जमीनें छीनने का आरोप लगाया है और "1 इंच भी जमीन न देने" का ऐलान किया है।
क्या हैं किसानों के आरोप?
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रदेश नेता सरवन सिंह पंधेर और गुरबचन सिंह चੱबा ने कहा कि "पंजाब के धक्के से बने सुपर मुख्यमंत्री केजरीवाल" कॉर्पोरेट जगत और केंद्र सरकार को खुश करने के लिए यह नीति लाए हैं।
इस स्कीम के तहत पंजाब के किसानों की 65,533 एकड़ उपजाऊ जमीन अनावश्यक शहरीकरण के लिए छीनी जा रही है। इसके अलावा, औद्योगिक पार्क के नाम पर 1 लाख एकड़ और जमीन बड़े उद्योगों के लिए छीनने की तैयारी है।
किसानों ने कहा कि वे "दिल्ली से आए इन हमलावरों" के इस धक्के को रोकने के लिए आज पूरे पंजाब में मोटरसाइकिल मार्च निकाल रहे हैं, जिसमें हजारों किसान, मजदूर और महिलाएं शामिल हैं।
अन्य मांगें और सीधी चुनौती
किसानों ने सरकार के सामने कई और मांगें भी रखी हैं और सीधी चुनौती दी है:
1. नेताओं की एंट्री बैन: गांवों में प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं कि आम आदमी पार्टी, अकाली दल, कांग्रेस और बीजेपी के किसी भी नेता को गांवों में घुसने नहीं दिया जाएगा और इसके लिए गांवों में बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
2. बिजली कर्मचारियों को समर्थन: किसान संगठनों ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ हड़ताल कर रहे बिजली कर्मचारियों को पूरा समर्थन दिया है और कहा है कि किसी भी कीमत पर चिप वाले मीटर नहीं लगने देंगे।
3. कर्ज माफी: किसानों और मजदूरों का पूरा कर्ज खत्म किया जाए।
4. मुआवजे की मांग: शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस कार्रवाई के दौरान हुए 3.77 करोड़ रुपये के नुकसान का मुआवजा तुरंत दिया जाए।
किसान नेताओं ने कहा कि सभी किसान संगठन एकजुट हैं और अपने-अपने तरीके से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने जालंधर के कुक्कड़ गांव में होने वाली एक महारैली का भी ऐलान किया, जिसमें 1 लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का दावा किया गया है।