राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने बुधवार को निर्वाचन आयोग पर ‘‘वोट चोरी'' करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ ‘‘मिलीभगत'' का आरोप लगाया। बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग भाजपा नेताओं को दो मतदाता पहचान पत्र हासिल करने में मदद कर रहा है और दोहराया कि अगर मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को ठीक नहीं किया गया तो राजद बिहार विधानसभा चुनावों का बहिष्कार कर सकता है। भाजपा ने इन आरोपों को ‘‘गलत और भ्रामक'' बताया है। यादव ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘यह सच है कि निर्वाचन आयोग (ईसी) आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में वोट चोरी के लिए भाजपा के साथ सांठगांठ कर रहा है। वास्तव में, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की शुरुआती प्रक्रिया के बाद निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची को वोट की ‘डकैती' कहा जाना चाहिए।
निर्वाचन आयोग राज्य में भाजपा नेताओं को दो मतदाता पहचान पत्र हासिल करने में मदद कर रहा है।'' राजद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ ‘वोट अधिकार यात्रा' में शामिल होगी और मतदाताओं से मिलेगी। यादव ने कहा, ‘‘यात्रा के समापन के बाद हम विचार करेंगे कि विधानसभा चुनाव में भाग लेना है या नहीं। मैं इसे बराबर दोहरा रहा हूं। अगर निर्वाचन आयोग उसी तरह से काम करता रहेगा जैसे वह वर्तमान में कर रहा है है तो हमें चुनावों का बहिष्कार करने के बारे में सोचना ही होगा।'' उन्होंने मुजफ्फरपुर की महापौर निर्मला देवी पर दो मतदाता पहचान पत्र ‘‘रखने'' का भी आरोप लगाया। यादव ने आरोप लगाया, ‘‘आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की संभावित उम्मीदवार मुजफ्फरपुर की महापौर, मसौदा मतदाता सूची के अनुसार एक विधानसभा क्षेत्र के दो अलग-अलग बूथ से संबंधित दो मतदाता पहचान पत्र रखती हैं। उनके पास आरईएम1251917 और जीएसबी1835164 नंबर के दो ईपीआईसी (फोटो मतदाता पहचान पत्र) हैं। उनके मतदाता पहचान पत्र में दो अलग अलग उम्र दर्ज है।'' राजद नेता ने यह भी दावा किया कि उन्होंने निश्चित रूप से ‘‘एसआईआर के प्रथम चरण के दौरान दो अलग-अलग गणना प्रपत्र भरे होंगे''।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने जरूर दो अलग-अलग फॉर्म पर अलग अलग तरह से हस्ताक्षर किए होंगे। निर्वाचन आयोग ने पुष्टि की है कि महापौर ने खुद इन दो अलग-अलग फॉर्म पर हस्ताक्षर किए हैं। हैरानी की बात यह है कि उनके परिवार के दो सदस्यों के पास भी एक ही विधानसभा क्षेत्र के दो अलग-अलग बूथ पर अलग-अलग दो मतदाता पहचान पत्र हैं।'' यादव ने निर्वाचन आयोग पर ‘‘भाजपा के लिए कई फर्जी मतदाता बनाने में मदद करने'' का आरोप लगाया। उन्होंने कहा,‘‘जब निर्वाचन आयोग खुद एक ही निर्वाचन क्षेत्र में ऐसा कर रहा है, तो ‘एसआईआर' का क्या मतलब है? इसका मतलब है कि निर्वाचन आयोग एक ही घर में भाजपा समर्थकों के लिए कई फर्जी मतदाता बनाने में मदद कर रहा है। चूंकि वह मुजफ्फरपुर से भाजपा की संभावित उम्मीदवार हैं, इसलिए निर्वाचन आयोग उनके पक्ष में फर्जी मतदाता बनाने में उनकी मदद कर रहा है?'' एक अधिकारी ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने बुधवार को मुजफ्फरपुर की महापौर और भाजपा नेता को दो मतदाता पहचान पत्र रखने के लिए एक नोटिस दिया और 16 अगस्त तक उसे जवाब देने के लिए कहा है। यादव ने दावा किया कि बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के पास भी मसौदा मतदाता सूची में दो विधानसभा क्षेत्रों के दो मतदाता पहचान पत्र पाए गए। यादव के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए सिन्हा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘तेजस्वी मेरे खिलाफ झूठे और भ्रामक आरोप लगा रहे हैं। वह बस मेरी छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें (यादव को) अपने दस्तावेज दिखाने चाहिए, क्योंकि उन्होंने दो अलग-अलग जन्मतिथियां दी हैं। मेरे खिलाफ झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए मैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा।''
यादव ने यह भी आरोप लगाया, ‘‘अब गुजरात के निवासी बिहार में मतदाता बन गए हैं। गुजरात निवासी, भाजपा की बिहार इकाई के प्रभारी भीखूभाई दलसानिया पटना के मतदाता बन गए हैं। उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में गुजरात में मतदान किया था। पिछले कुछ साल से वह (भाजपा नेता) जगह बदलकर मतदान कर रहे हैं।'' उन्होंने यह भी दावा किया, ‘‘भीखूभाई दलसानिया यहां मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं, लेकिन मतदाता सूची में भाजपा नेता का कोई पता या मकान नंबर दर्ज नहीं है। बिहार की मतदाता सूची में उनका नाम हिंदी में नहीं, बल्कि गुजराती भाषा में लिखा है ताकि कोई उसे पढ़ न सके।'' उन्होंने निर्वाचन आयोग पर ‘‘विपक्षी वोटों को दबाने और भाजपा के पक्ष में मतदाताओं को जोड़ने'' के लिए काम करने का आरोप लगाया। राजद नेता ने आरोप लगाया, ‘‘मुझे बताइए, एक ही निर्वाचन क्षेत्र में प्रमुख व्यक्तियों के पास अलग-अलग उम्र वाले दो मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) और दो अलग-अलग पहचान पत्र कैसे हो सकते हैं? यह निर्वाचन आयोग की बेईमानी नहीं है तो और क्या है? बिहार की जनता 2020 से जानती है कि ये लोग वोट चोर हैं।''
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘उनकी धांधली के कारण पिछले विधानसभा चुनाव में हमें 15 सीट गंवानी पड़ी। इस बार, जनता इनसे निपटेगी और आने वाले चुनाव में इन्हें सत्ता से बाहर कर देगी।'' यादव ने दोहरे मतदाता पहचान पत्र मामले में निर्वाचन आयोग की ‘‘चुप्पी'' पर भी सवाल उठाया। राजद नेता ने पूछा, ‘‘ऐसी विसंगति कैसे हुई? इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए? निर्वाचन आयोग ‘मौनी बाबा' की तरह व्यवहार क्यों कर रहा है? वे इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? जब हम एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं, तो निर्वाचन आयोग कह रहा है कि उसे किसी भी राजनीतिक दल से कोई शिकायत नहीं मिली है। निर्वाचन आयोग किसके इशारे पर काम कर रहा है?'' यादव ने कहा कि उनकी पार्टी को इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद है, क्योंकि मामला शीर्ष अदालत में लंबित है। बिहार में एक जनसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में बयान दिया था कि ‘घुसपैठियों' को चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शाह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने कहा, ‘‘जैसा कि केंद्रीय मंत्री ने कहा है, निर्वाचन आयोग को उन मतदाताओं की पहचान करनी चाहिए जो अवैध रूप से भारत में घुस आए हैं।''