भारत और ब्रिटेन के बीच 24 जुलाई को हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) के तहत भारत के समुद्री उत्पाद (सीफूड) निर्यात में 70% तक की बढ़ोतरी की संभावना है। यह ऐतिहासिक समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ। यह समझौता भारतीय समुद्री उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
CETA के तहत 99% टैरिफ लाइनों पर शून्य शुल्क (Zero Duty) की सुविधा दी गई है, जिससे भारतीय समुद्री उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में अन्य देशों जैसे वियतनाम और सिंगापुर के समान प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मिलेगी। अब तक जिन उत्पादों पर 0% से 21.5% तक शुल्क लगता था, वे अब ड्यूटी फ्री हो जाएंगे। इनमें मुख्य रूप से वन्नामी झींगा फ्रोजन स्क्विड, लॉबस्टर, फ्रोजन पम्फ्रेट और ब्लैक टाइगर झींगा शामिल हैं। इसके अलावा मछली, क्रसटेशियन, मोलस्क, मछली के तेल, समुद्री वसा, संरक्षित सीफूड, फिश मील और मछली पकड़ने के उपकरण भी इस कर छूट में शामिल हैं। हालांकि, ‘HS Code 1601’ के अंतर्गत आने वाले सॉसेज जैसे उत्पादों को इस छूट से बाहर रखा गया है।
वर्ष 2024–25 में भारत का कुल समुद्री उत्पाद निर्यात $7.38 अरब (₹60,523 करोड़) रहा, जिसमें से केवल फ्रोजन झींगा से $4.88 अरब (लगभग 66%) की कमाई हुई। ब्रिटेन ने भारत से $104 मिलियन मूल्य का समुद्री उत्पाद आयात किया, जिसमें से $80 मिलियन केवल फ्रोजन झींगा का था। इसके बावजूद, भारत की ब्रिटेन के $5.4 अरब के समुद्री आयात बाजार में हिस्सेदारी मात्र 2.25% है। CETA के तहत अब भारत को यह अवसर मिलेगा कि वह इस बाजार में अपनी हिस्सेदारी को तेजी से बढ़ा सके।
भारत का मत्स्य क्षेत्र 2 करोड़ 80 लाख लोगों को आजीविका देता है और वैश्विक मछली उत्पादन में 8% का योगदान करता है। 2014-15 से 2024–25 के बीच भारत के समुद्री उत्पाद निर्यात में मात्रा के हिसाब से 60% और मूल्य के हिसाब से 88% की वृद्धि हुई है। अब भारत 130 देशों को समुद्री उत्पाद निर्यात करता है, जबकि पहले यह आंकड़ा 100 था। मूल्य संवर्धित उत्पादों का निर्यात भी तीन गुना बढ़कर ₹7,666.38 करोड़ तक पहुंच गया है।
आंध्र प्रदेश, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात जैसे तटीय राज्य इस समझौते का सर्वाधिक लाभ उठा सकते हैं, बशर्ते वे ब्रिटेन के सख्त सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (स्वच्छता और पौध-स्वास्थ्य) मानकों का पालन करें। इस समझौते से न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि रोजगार, बुनियादी ढांचे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।