लद्दाख के द्रास में आज शनिवार को करगिल विजय दिवस के मौके पर 1999 के करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी गई। इस वर्ष करगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने युद्ध में शहीद हुए जवानों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर उनके साथ रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ और भारतीय थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी उपस्थित रहे। सभी नेताओं ने पुष्पचक्र अर्पण कर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
समारोह के दौरान एक भावुक क्षण तब देखने को मिला जब तीन हेलीकॉप्टरों ने आसमान से पुष्पवर्षा कर वहां मौजूद लोगों को देशभक्ति से सराबोर कर दिया। इससे पहले आज सुबह केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “करगिल विजय दिवस पर हम अपने वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जिन्होंने मां भारती की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान दिया। यह दिन हमारी सेना के अदम्य साहस और पराक्रम का प्रतीक है।”
गौरतलब है कि 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता की घोषणा की थी, जिसके साथ करगिल युद्ध का अंत हुआ था। यह युद्ध लगभग तीन महीने तक चला था। इस अवसर पर केंद्रीय खेल मंत्री द्वारा एक ‘पदयात्रा’ का भी आयोजन किया गया, जिसमें 1,000 से अधिक युवा स्वयंसेवक, सेना के जवान, शहीदों के परिवारजन, पूर्व सैनिक और आम नागरिकों ने भाग लिया। यह 1.5 किलोमीटर लंबी यात्रा सुबह 7 बजे हिमाबस पब्लिक हाई स्कूल, द्रास से शुरू हुई और सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, भीमबेट पर जाकर समाप्त हुई।
समारोह में युद्ध के पूर्व सैनिक, शहीदों के परिजन और कई गणमान्य अतिथि शामिल हुए। इसी दिन ‘इंडस व्यूपॉइंट’ नामक एक विशेष परियोजना का उद्घाटन भी किया गया, जो बटालिक सेक्टर में एलओसी तक पर्यटकों को ले जाने की सुविधा देगा। यह परियोजना आम लोगों को यह समझने में मदद करेगी कि किस प्रकार विषम परिस्थितियों और खतरों के बीच हमारे सैनिक देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
बटालिक, जो समुद्र तल से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, करगिल युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण केंद्र था क्योंकि यह करगिल, लेह और बल्तिस्तान के बीच रणनीतिक स्थान पर स्थित है। आज यह छोटा सा गांव, जो सिंधु नदी की घाटी में स्थित है, एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है।-