नई दिल्ली : वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 (Waqf (Amendment) Act, 2025) को लेकर चल रहे देशव्यापी विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक महत्वपूर्ण अंतरिम फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके तीन सबसे विवादास्पद प्रावधानों पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी कानून पर रोक "दुर्लभतम मामलों" में ही लगाई जा सकती है और पूरे कानून पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं बनता।
किन 3 बड़े प्रावधानों पर लगी रोक?
1. वक्फ के लिए 5 साल मुस्लिम होने की शर्त पर रोक: कानून में यह प्रावधान था कि कोई भी व्यक्ति तभी वक्फ (संपत्ति दान) कर सकता है, जब वह पिछले पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक यह तय करने के लिए कोई नियम नहीं बन जाता कि कोई व्यक्ति कब से इस्लाम का अनुयायी है, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा।
2. कलेक्टर की शक्ति पर रोक: नए कानून में जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार दिया गया था कि कोई संपत्ति वक्फ की है या सरकारी। कोर्ट ने इसे "शक्तियों के बंटवारे" (Separation of Powers) के सिद्धांत का उल्लंघन माना और इस पर रोक लगा दी। अब कलेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर किसी वक्फ संपत्ति का मालिकाना हक नहीं बदला जा सकेगा जब तक कि हाईकोर्ट इसकी मंजूरी न दे।
3. गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या सीमित: कोर्ट ने कहा कि राज्य वक्फ बोर्ड (State Waqf Boards) में 3 से अधिक और केंद्रीय वक्फ परिषद (Central Waqf Council) में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते। कोर्ट ने यह भी सलाह दी कि जहां तक संभव हो, वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) मुस्लिम समुदाय से ही होना चाहिए।
पूरे कानून पर रोक क्यों नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को संवैधानिक माना जाता है और उसे पूरी तरह से रोकना एक असाधारण कदम है। बेंच ने कहा कि उन्होंने हर प्रावधान की विस्तार से जांच की है और पाया कि पूरे एक्ट को स्टे करने की जरूरत नहीं है, लेकिन कुछ धाराओं को संरक्षण देना आवश्यक है।
क्या थीं सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें?
1. याचिकाकर्ताओं का पक्ष: वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यह कानून वक्फ संपत्तियों पर गैर-न्यायिक तरीके से कब्जा करने का एक प्रयास है और यह संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है।
2. सरकार का पक्ष: केंद्र सरकार ने कानून का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ एक 'धर्मनिरपेक्ष' अवधारणा है और इसे संसद ने पारित किया है, इसलिए यह वैध है। सरकार ने यह भी कहा कि वक्फ इस्लामी परंपरा का हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह धर्म का अनिवार्य अंग नहीं है।
कब आया था यह कानून?
यह कानून 3 अप्रैल को लोकसभा और 4 अप्रैल को राज्यसभा से पारित हुआ था। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद इसे 8 अप्रैल को अधिसूचित किया गया था। इसके तुरंत बाद कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने 22 मई को इस मामले पर अपना अंतरिम फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया गया है।