पूर्वोत्तर क्षेत्र अब भारत के विकास मानचित्र की परिधि पर नहीं है, यह अब मजबूती से देश के विकास के केंद्रबिंदु में है। दूरदर्शी नीति निर्माण, रिकॉर्ड निवेश और मंत्रालयों में समन्वित निष्पादन द्वारा समर्थित, पूर्वोत्तर में उल्लेखनीय परिवर्तन देखा जा रहा है। बेहतर रेल और सड़क कनेक्टिविटी से लेकर डिजिटल पहुंच, आर्थिक निवेश और समावेशी विकास पहल तक, हर प्रयास इस क्षेत्र को अवसर और समृद्धि के निकट ला रहा है। जैसे-जैसे बुनियादी ढांचा मजबूत हो रहा है और आकांक्षाएं गहरी हो रही हैं, पूर्वोत्तर एक विकसित भारत का एक प्रमुख वाहक बनने की ओर अग्रसर है, जहां हर पहाड़ी, घाटी और गांव देश के साझा भविष्य का भाग है।
पूर्वोत्तर भारत को एक सुदूर सीमांत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था
दरअसल, दशकों से, पूर्वोत्तर भारत को एक सुदूर सीमांत क्षेत्र के रूप में देखा जाता था, जो संस्कृति में समृद्ध था, लेकिन इसकी पूरी क्षमता का प्रयोग करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी थी। क्षेत्र के लोगों, जिनमें मिजोरम के जीवंत समुदाय भी सम्मिलित हैं, समृद्ध परंपराओं और सामाजिक सद्भाव के लिए जाने जाते हैं, ने लंबे समय तक प्रतीक्षा करते हुए विकास की राह देखी। केंद्र सरकार के एक्ट ईस्ट विज़न के साथ, पूर्वोत्तर क्षेत्र हाशिये से मुख्यधारा में आ गया है। जिसे कभी एक सुदूर कोने के रूप में देखा जाता था, वह अब भारत की विकास गाथा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। रेलवे, राजमार्गों, हवाई संपर्क और डिजिटल बुनियादी ढांचे में अभूतपूर्व निवेश ने मिजोरम की बांस से ढकी पहाड़ियों से लेकर सिक्किम की चोटियों और असम के चाय बागानों तक 8 राज्यों में विकास को नई गति दी है। आज, यह क्षेत्र न केवल बदला हुआ है, बल्कि बेहतर संपर्क, मजबूत अर्थव्यवस्थाओं और उद्देश्य की एक नई भावना के साथ सशक्त भी है। पूर्वोत्तर भारत की कहानी अब शांति, प्रगति और समृद्धि की है, जो विकसित भारत का सच्चा प्रतीक है।
पूर्वोत्तर को सशक्त बनाना: सशक्त बनाने, कार्य करने, मजबूत करने और परिवर्तन का दृष्टिकोण
गौरतलब हो, केंद्र सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए एक्ट ईस्ट दृष्टिकोण के अंतर्गत परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला लागू की है। यह रणनीतिक ढांचा पूर्वोत्तर को दक्षिण पूर्व एशिया के साथ भारत के जुड़ाव के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित करता है, साथ ही संतुलित विकास भी सुनिश्चित करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में “हमारे लिए पूर्व का अर्थ है सशक्त बनाना, कार्य करना, मजबूत करना और परिवर्तित करना”, एक मार्गदर्शक दर्शन जो क्षेत्र में हर नीतिगत पहल को रेखांकित करता है। बुनियादी ढांचे और डिजिटल संपर्कता से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका तक, ये प्रयास आठ राज्यों में अवसर सृजित करने, पहुंच में सुधार और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
पूर्वोत्तर भारत विकास के पथ पर: रेलवे और विकास
रेल मंत्रालय बुनियादी ढांचे की कमियों को दूर करने और संपर्कता को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से रिकॉर्ड निवेश के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में बड़े स्तर पर विकास कार्यों को नेतृत्व कर रहा है। वर्ष 2014 के बाद से, क्षेत्र के लिए रेल बजट आवंटन में पांच गुना वृद्धि हुई है। जो वर्तमान वित्त वर्ष के लिए 10,440 करोड़ रुपये सहित संचयी 62,477 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वर्तमान में 77,000 करोड़ रुपए की रेलवे परियोजनाएं चल रही हैं, जो इस क्षेत्र में अब तक के निवेश का उच्चतम स्तर है। वहीं, इन कार्यों का एक महत्वपूर्ण आकर्षण प्रधानमंत्री मोदी द्वारा मिजोरम में 13 सितंबर को किया गया बैराबी-सैरंग रेलवे लाइन का उद्घाटन है। 8,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित, 51 किलोमीटर की इस लाइन से आजादी के बाद पहली बार आइजोल को राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क से जोड़ गया है।
चुनौतीपूर्ण इलाके में 143 पुलों और 45 सुरंगों का निर्माण किया गया
आपको बता दे, चुनौतीपूर्ण इलाके में 143 पुलों और 45 सुरंगों का निर्माण किया गया है, यह निर्माण एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, जिसमें से एक पुल कुतुब मीनार से भी ऊंचा है। यात्री सुविधा के अलावा, यह लाइन माल ढुलाई में भी सुधार करेगी, बांस और बागवानी जैसी स्थानीय उपज के लिए नए बाजार खोलेगी और पर्यटन और रोजगार को बढ़ावा देगी। प्रधानमंत्री सैरंग से दिल्ली (राजधानी एक्सप्रेस), कोलकाता (मिजोरम एक्सप्रेस) और गुवाहाटी (आइजोल इंटरसिटी) से तीन नई ट्रेन सेवाओं को भी हरी झंडी दिखाई। यह मिजोरम को भारत की विकास गाथा के मानचित्र पर मजबूती से स्थापित करता है।
विकास परियोजनाओं का शिलान्यास
इसके अलावा अन्य प्रोजेक्ट्स में 3,600 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली ‘मणिपुर शहरी सड़क परियोजना’ और 500 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाली ‘मणिपुर इन्फोटेक विकास परियोजना’ शामिल हैं। ये परियोजनाएं इंफाल में सड़क बुनियादी ढांचे को मज़बूत करेंगी। साथ ही पीएम मोदी ने मणिपुर के चुराचांदपुर में 7,300 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली कई विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया है। इन परियोजनाओं में 3,600 करोड़ रुपये से अधिक की मणिपुर शहरी सड़कें, जल निकासी और परिसंपत्ति प्रबंधन सुधार परियोजनाएं, 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं, मणिपुर इन्फोटेक विकास (एमआईएनडी) परियोजना, 9 स्थानों पर कामकाजी महिला छात्रावास आदि शामिल हैं। मणिपुर में रेल संपर्क का विस्तार किया जा रहा है। जिरीबाम-इम्फाल रेलवे लाइन जल्द ही राजधानी इंफाल को राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से जोड़ देगी।
दरांग में, प्रधानमंत्री ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास
इसके अतिरिक्त पीएम मोदी ने 14 सितंबर को असम के दरांग में लगभग 6,500 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का शिलान्यास और उद्घाटन किया। दरांग में, प्रधानमंत्री ने कई परियोजनाओं का शिलान्यास किया, इन परियोजनाओं में दरांग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, जीएनएम स्कूल और बीएससी नर्सिंग कॉलेज शामिल हैं जो इस क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करेंगे, गुवाहाटी रिंग रोड परियोजना, जो शहरी आवागमन को बढ़ाएगी, यातायात की भीड़भाड़ कम करेगी और राजधानी शहर और उसके आसपास संपर्क में सुधार करेगी और ब्रह्मपुत्र नदी पर कुरुवा-नरेंगी पुल, जो कनेक्टिविटी में सुधार करेगा और क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
राष्ट्रीय राजमार्गों का विकास
राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास और रखरखाव के लिए उत्तरदायी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएंडएच) ने पूर्वोत्तर क्षेत्र (एनपीआर) में 16,207 किमी राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया है। सड़कों, रेलवे और ग्रामीण परिवहन परियोजनाओं में सरकार का निरंतर निवेश इस क्षेत्र को नया स्वरुप दे रहा है, गतिशीलता बढ़ा रहा है और स्थानीय समुदायों के लिए नए अवसर ला रहा है। इस प्रतिबद्धता का एक उल्लेखनीय उदाहरण असम में मंगलदोई और माजीकुची के बीच 45.31 करोड़ रुपये की लागत वाली 15 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण परियोजना को अनुमति देना है। अगस्त 2025 में स्वीकृत, परियोजना को पूर्वोत्तर विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना (एनईएसआईडीएस)–सड़कों के अंतर्गत लागू किया जाएगा।
पीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़क निर्माण और पुल
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत पूर्वोत्तर क्षेत्र में 89,436 किलोमीटर के 17,637 सड़क कार्य और 2,398 पुलों को अनुमति दी गई है। इनमें से 80,933 किलोमीटर के 16,469 सड़क कार्य और 2,108 पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है, जिससे दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में अंतिम छोर तक संपर्कता में काफी सुधार हुआ है।
सरकार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी विकास में तेजी लाने के लिए अन्य परिवर्तनकारी पहलें की हैं, जिसमें से कुछ इस प्रकार हैं-
डिजिटल संपर्कता और मोबाइल सेवाएं-भारतनेट और डिजिटल भारत निधि द्वारा समर्थित अन्य सहित कई सरकारी वित्त पोषित परियोजनाओं ने ग्राम पंचायतों में सेवा देकर और पूरे क्षेत्र में मोबाइल टावरों को चालू करके पूर्वोत्तर क्षेत्र में डिजिटल संपर्कता को बढ़ाया है।
क्षेत्रीय हवाई संपर्क (उड़ान) योजना-नागर विमानन मंत्रालय ने पहले सेवा से वंचित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों से हवाई यात्रा की पहुंच में सुधार के लिए क्षेत्रीय संपर्कता योजना-उड़ान शुरू की है। इस पहल ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में विभिन्न हवाई अड्डों और हेलीपोर्ट को जोड़ने वाले कई मार्गों को स्थापित करने में मदद की है।
पीएम-डिवाइन योजना
पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए प्रधानमंत्री की विकास पहल (पीएम डिवाइन) केंद्रीय बजट 2022-23 में घोषित 100 प्रतिशत केंद्र द्वारा वित्त पोषित केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। इस योजना का कुल परिव्यय वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 तक चार साल की अवधि के लिए 6,600 करोड़ रुपए है। इसका उद्देश्य पीएम गतिशक्ति ढांचे के अनुरूप बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना, क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर सामाजिक विकास पहल का सहयोग करना, युवाओं और महिलाओं के लिए आजीविका के अवसरों को सक्षम करना और पूर्वोत्तर क्षेत्र में विभिन्न क्षेत्रों में विकास अंतराल को दूर करना है।
एनईएसआईडीएस-सड़कें
पूर्वोत्तर विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना (एनईएसआईडीएस)- सड़कें वर्ष 2017-18 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है और इसे 31 मार्च 2026 तक बढ़ाया गया है। यह सड़कों और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए लक्षित अंतर वित्त पोषण प्रदान करता है जो अन्य केंद्रीय मंत्रालयों या एजेंसियों द्वारा कवर नहीं किए जाते हैं। यह योजना उन परियोजनाओं पर केंद्रित है जो दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंच बढ़ाती हैं, बाजार संपर्कता में सुधार करती हैं और रणनीतिक या सुरक्षा उद्देश्यों को पूर्ण करती हैं। केवल वे प्रस्ताव जिनके परिणामस्वरूप सड़कों, पुलों और सहायक बुनियादी ढांचे जैसी भौतिक संपत्तियों का निर्माण होता है, वे वित्त पोषण के लिए पात्र हैं।
एनईएसआईडीएस – सड़क अवसंरचना के अलावा अन्य
एनईएसआईडीएस – सड़क अवसंरचना के अलावा (ओटीआरआई) एनईएसआईडीएस केंद्रीय क्षेत्र योजना का एक घटक है। इसमें नॉन-लैप्सेबल सेंट्रल पूल ऑफ रिसोर्सेज (एनएलसीपीआर) और हिल एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (एचएडीपी) जैसी पहले की योजनाओं की अधूरी परियोजनाएं शामिल हैं। एनईएसआईडीएस-ओटीआरआई आठ पूर्वोत्तर राज्यों को प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, बिजली, जल आपूर्ति, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन, औद्योगिक विकास, नागरिक उड्डयन, खेल, दूरसंचार और प्रतिष्ठित जल निकायों के संरक्षण जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जुलाई 2025 तक, एनईएसआईडीएस-ओटीआरआई के अंतर्गत 29 परियोजनाओं को अनुमति दी गई है और अब तक 462.21 करोड़ रुपये व्यय किए गए हैं, जो कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) की योजनाएं
पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के अंतर्गत लागू योजनाओं को 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया था। इन योजनाओं का उद्देश्य राज्यों द्वारा पहचाने गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में परियोजनाओं का सहयोग करके सभी आठ पूर्वोत्तर राज्यों के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। परियोजनाओं के चयन, स्वीकृति और निगरानी का प्रबंधन पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) और एनईसी द्वारा संबंधित राज्य सरकारों के समन्वय से किया जाता है। कार्यान्वयन नामित राज्य या केंद्रीय एजेंसियों द्वारा किया जाता है। एनईसी योजनाओं के अंतर्गत प्रमुख केंद्रित क्षेत्रों में बांस विकास, सुअर पालन, क्षेत्रीय पर्यटन, उच्च शिक्षा, तृतीयक स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका सृजन शामिल हैं।
असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज
असम और त्रिपुरा के लिए विशेष विकास पैकेज (एसडीपी) पूर्वोत्तर क्षेत्र में समावेशी विकास और शांति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से चल रही केंद्रीय क्षेत्र की योजना का भाग हैं। अगस्त 2025 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 4,250 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ योजना के अंतर्गत चार नए घटकों को अनुमति दी। इसमें से पांच वर्षों (2025-26 से 2029-30) में असम के लिए 4,000 करोड़ रुपए और चार वर्षों (2025-26 से 2028-29) में त्रिपुरा के लिए 250 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इन पैकेजों का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करना, बुनियादी ढांचे और आजीविका परियोजनाओं के माध्यम से रोजगार पैदा करना और कौशल विकास और उद्यमिता के माध्यम से युवाओं और महिलाओं को लाभान्वित करना है। उनसे दीर्घकालिक स्थिरता, वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने और क्षेत्र में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देने की उम्मीद है।