गाजा पट्टी में भुखमरी ने अब विकराल रूप धारण कर लिया है। इजरायल की नाकेबंदी के चलते खाने-पीने की चीज़ों और ज़रूरी दवाइयों की भीषण कमी हो गई है, जिसके कारण पिछले 3 हफ़्तों में कई बच्चों सहित दर्जनों लोगों की जान चली गई है। गाजा सिटी के पेशेंट्स फ्रेंड्स हॉस्पिटल में हालात इतने बदतर हैं कि डॉक्टर बच्चों को बचाने के लिए ज़रूरी दवाइयाँ और पौष्टिक भोजन भी नहीं दे पा रहे हैं। पिछले हफ़्ते तो स्थिति और भी चिंताजनक हो गई, जब सिर्फ़ 4 दिनों में 5 छोटे बच्चे भुखमरी की वज़ह से दम तोड़ गए। इनमें से कोई भी बच्चा पहले से किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित नहीं था, फिर भी पोषण की कमी के कारण उनकी हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें बचाया नहीं जा सका।
"कमजोरी के चलते बच्चे रो भी नहीं पाते"
हॉस्पिटल की न्यूट्रिशनिस्ट डॉ. राना सोबोह ने गाजा के भयानक हालातों को बयां करते हुए कहा, "बच्चे इतने कमज़ोर हो गए हैं कि न रो पाते हैं, न हिल पाते हैं। पहले कुछ बच्चे इलाज से ठीक हो जाते थे, लेकिन अब हालात बदतर हैं। यह एक आपदा है। बच्चे दुनिया के सामने भूख से मर रहे हैं। इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता।"
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले तीन हफ़्तों में भुखमरी से कुल 48 लोगों की मौत हुई है, जिनमें 20 बच्चे और 28 वयस्क शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी बताया है कि इस साल अब तक 21 बच्चों की भुखमरी से मौत हो चुकी है।
दवाइयों की कमी से मासूमों की मौत
यूएन के विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि करीब एक लाख महिलाएँ और बच्चे तुरंत इलाज के मोहताज़ हैं, लेकिन दवाइयों और खाने की कमी के कारण यह मुमकिन नहीं हो पा रहा है। पेशेंट्स फ्रेंड्स हॉस्पिटल में हर दिन 200 से 300 बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं। डॉ. राना ने यह भी बताया कि हॉस्पिटल के कर्मचारी भी भूखे हैं और 2 नर्सों को तो ऊर्जा के लिए ड्रिप चढ़ानी पड़ी।
पिछले हफ़्ते मरने वाले 5 बच्चों में से 4 की मौत पेट की गड़बड़ी (गैस्ट्रिक अरेस्ट) से हुई, क्योंकि उनके लिए ज़रूरी पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं था। पाँचवीं बच्ची, सिवर, जो साढ़े चार साल की थी, के शरीर में पोटैशियम की भारी कमी थी। दवाइयों के अभाव में वह भी तीन दिन बाद आईसीयू में दम तोड़ गई।
वयस्क भी भुखमरी के शिकार
यह त्रासदी सिर्फ़ बच्चों तक सीमित नहीं है, वयस्क भी भुखमरी का शिकार हो रहे हैं। रिफ्यूजी कैंप में रहने वाले 2 साल के यज़ान अबू फुल की हालत भी बेहद ख़राब है। उसकी माँ नईमा ने बताया कि यज़ान का शरीर इतना कमज़ोर हो गया है कि उसकी हड्डियाँ साफ़ दिखती हैं। परिवार के पास खाने को कुछ नहीं है, और वे 9 डॉलर (लगभग ₹750) में खरीदे गए 2 बैंगन को पानी में उबालकर कई दिनों तक चला रहे हैं। यज़ान के पिता महमूद ने दर्द भरी आवाज़ में कहा, "डॉक्टर कहते हैं खाना दो, लेकिन मैं कहता हूँ, खाना है ही नहीं। हमारा बच्चा धीरे-धीरे हमारे हाथों से फिसलता जा रहा है।"
गाजा सिटी के शिफा हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. मोहम्मद अबू सेल्मिया ने बताया कि गुरुवार को दो वयस्कों की लाशें आईं, जिनमें भुखमरी के साफ़ लक्षण थे।
"अगर ये नहीं रुका, तो हालात और भी भयानक होंगे"
इज़रायल ने मार्च से गाजा में खाने, दवाइयों और ईंधन की सप्लाई पूरी तरह रोक दी थी, जिसके बाद हालात और खराब हो गए। मई में थोड़ी राहत दी गई, लेकिन यूएन के मुताबिक रोज़ाना 500-600 ट्रक सहायता सामग्री की ज़रूरत है, जबकि वर्तमान में सिर्फ़ 69 ट्रक ही आ रहे हैं।
इज़रायल का कहना है कि हमास सहायता सामग्री लूट रहा है, लेकिन यूएन और सहायता संगठन इस आरोप को नकारते हैं। उनका कहना है कि अगर सहायता बिना किसी बाधा के खुलकर आए, तो लूटपाट रुक सकती है। मेडग्लोबल के सह-संस्थापक डॉ. जॉन कहलर ने चेतावनी दी, "गाजा में भुखमरी से मौतों का सिलसिला शुरू हो चुका है। अगर ये नहीं रुका, तो हालात और भी भयानक होंगे।"