लुधियाना : पंजाब के सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या का मुद्दा अब तूल पकड़ने लगा है। शिक्षा विभाग द्वारा इस गिरावट के लिए सीधे तौर पर शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराने और कार्रवाई के संकेत देने वाले एक पत्र ने शिक्षक समुदाय में रोष पैदा कर दिया है। 'डैमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट' (डी.टी.एफ.) ने इस पत्र की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे सरकार की अपनी विफलताओं को छिपाने का प्रयास बताया है।
शिक्षा विभाग (एलीमैंट्री) ने 3 दिसम्बर को हुई स्टेट रिव्यू मीटिंग के हवाले से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जिन प्राइमरी स्कूलों में सत्र 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के मुकाबले सत्र 2024-25 और 2025-26 में छात्रों का एनरोलमैंट कम हुआ है, वहां कार्यरत स्टाफ का प्रदर्शन खराब माना जाएगा। विभाग ने ऐसे स्कूलों के ई.टी.टी. शिक्षकों, हैड टीचर, सैंटर हैड टीचर और संबंधित बी.पी.ई.ओ. की सूची मांगी है ताकि उनके खिलाफ अगली कार्रवाई की जा सके।
डी.टी.एफ. का पलटवार : 'पद खाली हैं, नीतियां गलत हैं'
इस पत्र पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए डीटीएफ पंजाब के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजयपाल शर्मा और प्रदेश सचिव रेशम सिंह खेमुआना ने कहा कि दाखिला घटने का ठीकरा शिक्षकों के सिर फोड़ना पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि असल कारण सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियां हैं। नेताओं ने बताया कि स्कूलों में प्रिंसिपल, हेडमास्टर और बीपीईओ के लगभग 50% पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों और लेक्चरर के हजारों पद रिक्त हैं और एक-एक क्लर्क को कई स्कूलों का काम देखना पड़ रहा है। हैरानी की बात है कि प्राइमरी स्कूलों में प्री-प्राइमरी विंग तो चल रहे हैं, लेकिन आज तक उनके लिए कोई शिक्षक भर्ती नहीं किया गया।
गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ और प्रवास भी बड़ा कारण
संगठन के प्रांतीय संयुक्त सचिव व जिला अध्यक्ष दलजीत समराला और जिला महासचिव हरजीत सिंह सुधार ने जमीनी समस्याओं को उजागर किया। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी, जनगणना, चुनाव ड्यूटी, तरह-तरह के सर्वे और अनावश्यक डाक कार्यों में उलझाकर रखा जाता है जिससे उनका मुख्य काम 'पढ़ाना' प्रभावित होता है। इसके अलावा, नेताओं ने तर्क दिया कि पंजाब में घटती जन्म दर और बड़े पैमाने पर हो रहा विदेश प्रवास (माइग्रेशन) भी छात्र संख्या कम होने का एक बड़ा कारण है। डी.टी.एफ. ने विभाग को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह शिक्षकों को दोषी ठहराने के बजाय अपनी नीतियों में सुधार करे और खाली पदों को भरे।