South East (दक्षिण-पूर्व)
Old Delhi (पुरानी दिल्ली)
North (उत्तर)
New Delhi (नई दिल्ली)
Central (केंद्रीय दिल्ली)
Central North (केंद्रीय-उत्तर)
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शकरपुर बस्ती
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शालीमार बाग
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मॉडल टाउन
South West (दक्षिण-पश्चिम)
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नजफगढ़
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मटीयाला
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द्वारका
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बिजवासन
Outer North (बाहरी उत्तर)
North West (उत्तर-पश्चिम)
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किराड़ी
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नांगलोई जाट
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रोहिणी
North East (उत्तर-पूर्व)
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करावल नगर
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गोकुलपुरी
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यमुना विहार
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शाहदरा
East (पूर्वी दिल्ली)
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गांधी नगर
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विश्वास नगर
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पटपड़गंज
South (दक्षिण)
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छतरपुर
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मालवीय नगर
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देवली
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महरौली
West (पश्चिम)
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विकासपुरी
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जनकपुरी
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राजौरी गार्डन
सीमाएं अब एक जैसी होंगी—MCD, NDMC और कैंट बोर्ड का तालमेल सुधरेगा
मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक दिल्ली की सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि राजस्व जिलों की सीमाएं,
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MCD
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NDMC
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दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड
की सीमाओं से मेल नहीं खाती थीं।
ऐसे में यह साफ नहीं होता था कि किसी शिकायत पर कार्रवाई कौन करेगा। फाइलें एक विभाग से दूसरे में घूमती रहती थीं, जिससे लोगों को समय पर सेवा नहीं मिलती थी। नई व्यवस्था में सभी सीमाएं एकसमान होंगी, जिससे भ्रम खत्म होगा और काम की रफ्तार बढ़ेगी।
हर जिले में बनेगा मिनी सचिवालय
सरकार के अनुसार, 13 जिलों के साथ अब कुल 39 सब-डिविजन होंगे। हर जिला मुख्यालय पर एक मिनी सचिवालय बनाया जाएगा, जिसमें:
एक ही इमारत में उपलब्ध होंगी।
इससे लोगों को अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।
संपत्ति रजिस्ट्रेशन होगा आसान
नए ढांचे के तहत सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या बढ़ेगी और इन्हें सीधे सब-डिविजन से जोड़ा जाएगा।
इससे:
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मकानों और जमीन के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज होगी
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रिकॉर्ड डिजिटाइजेशन बेहतर होगा
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नागरिकों को दूर-दूर जाकर कागज जमा नहीं कराने होंगे
सरकार का दावा: सेवाएं होंगी तेज, जवाबदेही होगी मजबूत
दिल्ली सरकार का कहना है कि इस कदम से:
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विभागों में तालमेल बढ़ेगा
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शिकायतों का निस्तारण तेजी से होगा
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अधिकारियों पर कार्यभार संतुलित रहेगा
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शहर की शहरी योजना और आपदा प्रबंधन बेहतर होगा
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भूमि रिकॉर्ड में पारदर्शिता आएगी
सरकार का मानना है कि नई व्यवस्था से प्रशासन और नागरिकों के बीच दूरी कम होगी और सेवा वितरण पहले से अधिक सरल और विश्वसनीय बन जाएगा।
2012 के बाद सबसे बड़ा बदलाव
दिल्ली में इससे पहले वर्ष 2012 में बड़ा प्रशासनिक पुनर्गठन हुआ था, जब जिलों की संख्या 9 से बढ़ाकर 11 की गई थी। लंबे समय से विशेषज्ञ और विभिन्न समितियां यह सुझाव दे रही थीं कि लगातार बढ़ती आबादी के चलते ज्यादा और छोटे जिलों की जरूरत है। अब 13 जिलों का यह नया मॉडल राजधानी की प्रशासनिक प्रणाली को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है।