केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मॉरीशस के नौकरशाहों के एक समूह को संबोधित करते हुए ‘ब्लू इकोनॉमी’ में दोनों देशों की साझा हिस्सेदारी पर जोर दिया। उन्होंने मत्स्य पालन, महासागर प्रौद्योगिकी और विलवणीकरण जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत और मॉरीशस के बीच गहन सहयोग का आह्वान किया। केंद्रीय मंत्री ने इन्हें दोनों समुद्री राष्ट्रों के लिए “स्थायी विकास और पारस्परिक समृद्धि के नए मोर्चों” के रूप में वर्णित किया।
बुधवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) में मॉरीशस के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि समुद्री संसाधन प्रबंधन और महासागर आधारित प्रौद्योगिकियों में भारत का विशाल अनुभव मॉरीशस के विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मॉरीशस के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के लिए दूसरे क्षमता निर्माण कार्यक्रम में भाग ले रहे वहां के 14 मंत्रालयों के 17 वरिष्ठ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बातचीत करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने डीप ओशन मिशन जैसी पहलों के माध्यम से समुद्री संसाधनों के दोहन में भारत की सफलता के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि समुद्री जल को पीने योग्य बनाने में भारत की विशेषज्ञता ने लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय क्षेत्रों का पहले ही कायाकल्प कर दिया है और यह मॉरीशस के लिए व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत कर सकता है, जो समुद्र से घिरा होने के बावजूद पेयजल की कमी की समस्या से जूझ रहा है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बातचीत के दौरान कहा, “हर जगह पानी ही पानी है, और पीने लायक भी नहीं है—इस विरोधाभास को तकनीक के ज़रिए दूर किया जा सकता है। हमारे विलवणीकरण संयंत्रों ने खारे पानी को पीने योग्य पानी में सफलतापूर्वक बदला है और उसी प्रक्रिया से हरित ऊर्जा भी पैदा की है।”
आपको बता दें, एनसीजीजी में 10 से 15 नवंबर तक चलने वाला यह कार्यक्रम मार्च 2025 में भारत और मॉरीशस के बीच हस्ताक्षरित एक दीर्घकालिक सहयोग ढांचे का हिस्सा है, जिसके तहत मॉरीशस के 500 प्रशासनिक अधिकारियों को पांच वर्षों में प्रशिक्षित किया जाएगा। मॉरीशस के लोक सेवा एवं प्रशासनिक सुधार मंत्रालय के वरिष्ठ मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. धनंजय कावोल के नेतृत्व में वर्तमान प्रतिनिधिमंडल इस पहल के तहत भारत आने वाले सबसे वरिष्ठ बैचों में से एक है।
सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान, दोनों पक्षों से नीली अर्थव्यवस्था, नवीकरणीय ऊर्जा और विलवणीकरण प्रौद्योगिकी में संभावित परियोजनाओं का पता लगाए जाने की उम्मीद है।