इराक की सियासत एक बार फिर सांप्रदायिक तनाव की भेंट चढ़ गई है। मंगलवार को इराकी संसद में शिया और सुन्नी सांसदों के बीच बहस ने देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया। विवाद इतना बढ़ गया कि सांसदों ने एक-दूसरे पर जूते फेंके, थप्पड़ मारे और लात-घूंसे बरसाए। इस झड़प में एक सुन्नी सांसद की आंख में गंभीर चोट भी आई है। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विवाद की जड़ थी संघीय सेवा आयोग और राज्य परिषद के सदस्यों की नियुक्ति। वोटिंग से पहले राजनीतिक सहमति बनी थी कि इन संवेदनशील पदों को शिया और सुन्नी गुटों में समान रूप से बांटा जाएगा। लेकिन जब मतदान हुआ, तो शिया गुट और तकद्दुम गठबंधन ने सभी पदों के लिए अपने शिया उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डाल दिए।
इराक की लगभग 55-65% जनसंख्या शिया मुसलमानों की है, जबकि सुन्नी समुदाय करीब 35-40% है। दोनों गुटों के बीच सत्ता और राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर लंबे समय से तनाव चला आ रहा है। इससे सुन्नी गुटों में गुस्सा फूट पड़ा। स्पीकर महमूद अल-मशहदानी ने इस प्रक्रिया का विरोध करते हुए सदन से वॉकआउट कर लिया। उन्होंने कहा, "यह सुन्नी समुदाय के अधिकारों के साथ खुला अन्याय है।"विवाद उस समय हिंसक हो गया जब एक शिया सांसद अला अल-हैदरी ने एक सांप्रदायिक गाली दी, जिससे माहौल और बिगड़ गया। इसके तुरंत बाद सुन्नी सांसद राद अल-दहलाकी और हैदरी के बीच झड़प हुई जो पंचों और लात-घूंसे में तब्दील हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, "करीब 50 सांसद अल-दहलाकी पर टूट पड़े और उन्हें बुरी तरह पीटा।" केवल एक सुन्नी सांसद महमूद अल-कैसी ने हिंसक भीड़ के बीच से अल-दहलाकी को बचाने की बहादुरी भरी कोशिश की।घटना सिर्फ संसद कक्ष तक सीमित नहीं रही। संसद भवन के कैफेटेरिया में भी टकराव जारी रहा। हालात को देखते हुए संसद परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। झड़प का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें सांसदों को आपस में मारपीट करते देखा जा सकता है। इराक की संसद में इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं। मई 2024 में भी स्पीकर चुनाव को लेकर हिंसक झड़प हुई थी, क्योंकि यह पद छह महीने से खाली था। शिया-सुन्नी प्रतिनिधित्व को लेकर संसद में अक्सर टकराव की स्थिति बनती रही है।