हिमाचल के सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ते के लंबित भुगतान पर विपक्षी दल भाजपा ने गुरुवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान खूब हंगामा किया और वेल में नारेबाजी के बाद वाकआउट भी किया। गुरुवार को प्रश्नकाल में भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती का डीए का लेकर पूछा गया सवाल पहले नंबर पर ही लगा। इसमें मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जवाब दिया कि राज्य के विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की तीन किस्तें कुल 11 फीसदी की दर से देय हैं। यह भुगतान करना सरकार का कत्र्तव्य है और दायित्व भी। यह लंबित इसलिए है, क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि भुगतान किया जा सके। आने वाले दिनों में बजट में की गई घोषणा के अनुसार यह भुगतान कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह दिक्कत भी इसलिए आई, क्योंकि राज्य सरकार ने पहली कैबिनेट में कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने विपक्ष के कहने पर अतिरिक्त लोन लिमिट के 1600 करोड़ बंद कर दिए। तीन साल में हमें कुल 4800 करोड़ नहीं मिले हैं।
दिल्ली जाकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बात की है और उन्होंने यह सुझाव दिया है कि एडिशनल लोन तभी मिलेगा, जब राज्य सरकार या तो यूपीएस में जाए या एनपीएस में। राज्य सरकार ने हालत में सुधार के लिए कुछ कदम उठाए हैं, जिनका रिजल्ट आ रहा है। आर्थिक स्थिति सुधरते ही महंगाई भत्ते के साथ एरियर का भुगतान भी किया जाएगा। अनुपूरक सवाल में भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ठाकुर ने बताया कि जब बजट भाषण में डीए की घोषणा हुई है, तो मई में इसे क्यों नहीं दिया गया। सरकार बार-बार सदन में गलत बोल रही है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी अनुपूरक सवाल किया और पूछा कि यह सरकार कर्मचारियों ने बनाई है। हमारी सरकार ने सब कुछ समय पर किया, सिर्फ ओल्ड पेंशन पर निर्णय नहीं हो पाया। इसलिए कर्मचारी नाराज हो गए। अब जब आपने कर्मचारियों से कमिटमेंट की है, तो उसको पूरा करना भी आपका दायित्व है। यह प्रिविलेज का मामला बनता है।
सदन में घोषणा कर वह काम न करना ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि पूर्व की भाजपा सरकार ने चुनाव से ठीक छह महीने पहले छठे पे-कमीशन को लागू किया। यह अगर समय पर कर दिया होता, तो दिक्कत नहीं आनी थी। फिर जाने से पहले 10000 करोड़ का एरियर भी नहीं दिया। हालांकि तब रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट अच्छी मिल रही थी। अभी यह सिर्फ 3200 करोड़ सालाना बची है। हम अब चीजों को सेटल कर रहे हैं। उम्मीद है कि जल्दी रिजल्ट आएगा। हालांकि मुख्यमंत्री के जवाब से नाखुश विपक्ष के विधायकों ने अपनी सीट पर खड़ा होकर कर्मचारियों के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। थोड़ी देर बाद ये सदन के वेल में जाकर नारेबाजी करने लगे। ऐसा इस सेशन में पहली बार हुआ। इसी शोर-शराबे के बीच प्रश्नकाल चला रहा। करीब 10 मिनट नारेबाजी करने के बाद भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।
कर्मचारियों पर पानी की बौछारें करने वाले हितैषी बन रहे
विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि कर्मचारियों पर लाठीचार्ज करने वाले, पानी की बौछारें छोडऩे वाले अब कर्मचारियों के हितैषी बन रहे हैं। जिन्होंने ओल्ड पेंशन स्कीम का विरोध किया और भारत सरकार में जाकर सालाना मिल रहे 1600 करोड़ रुकवाए, वे कर्मचारियों के लिए नारेबाजी कर रहे हैं। भाजपा का यह वाकआउट ध्यान बंटाने की कोशिश है। कर्मचारियों से इनका कोई लेना-देना नहीं है। यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो गई। जो सरकार एरियर की 10000 करोड़ की देनदारी देकर गई हो, उसे यह करना शोभा नहीं देता।