अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वाशिंगटन डीसी में “क्राइम इमरजेंसी” घोषित करने के बाद, कई रिपब्लिकन-नेतृत्व वाले राज्यों ने राष्ट्रीय राजधानी में नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती शुरू कर दी है। इस संबंध में अमेरिकी राज्य टेनेसी ने घोषणा की है कि वह 160 नेशनल गार्ड सैनिकों को वाशिंगटन भेज रहा है, जो इस सप्ताह के अंत तक पहुंचने की उम्मीद है। इसके साथ ही, वेस्ट वर्जीनिया, ओहायो, साउथ कैरोलिना, मिसिसिपी और लुइसियाना ने भी नेशनल गार्ड की तैनाती का वादा किया है। इससे वाशिंगटन में नेशनल गार्ड सैनिकों की कुल संख्या 2,000 तक पहुंच सकती है।
ट्रंप का दावा: अपराध नियंत्रण से बाहर
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में दावा किया था कि वाशिंगटन में अपराध की स्थिति बेकाबू हो गई है और लोग बेघर हो रहे हैं। इसके जवाब में 11 अगस्त को 800 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का आदेश दिया गया था। इस नए घटनाक्रम ने राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की कोशिश को दर्शाया है।
डेमोक्रेट्स की कड़ी आलोचना
वहीं डेमोक्रेटिक गवर्नर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष और कंसास की गवर्नर लॉरा केली ने इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे ट्रंप का “खतरनाक, राजनीति से प्रेरित एजेंडा” करार देते हुए कहा कि बिना स्थानीय अधिकारियों की सहमति के नेशनल गार्ड की तैनाती न केवल संसाधनों की बर्बादी है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता को भी नुकसान पहुंचाती है। केली ने अन्य गवर्नरों से आग्रह किया कि वे अपने नेशनल गार्ड सैनिकों को इस तरह के कदमों में शामिल होने से रोकें।
विवादों के बीच गहराता विभाजन
केली ने इस कदम को राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक बताया। उन्होंने कहा, यह कदम देश में पहले से मौजूद राजनीतिक विभाजन को और गहरा सकता है। डेमोक्रेट्स का तर्क है कि नेशनल गार्ड का उपयोग वास्तविक आपात स्थितियों के लिए होना चाहिए, न कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए। दूसरी ओर, रिपब्लिकन गवर्नर इसे कानून-व्यवस्था बहाल करने की दिशा में एक जरूरी कदम बता रहे हैं। वाशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड की बढ़ती मौजूदगी और इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस से स्थिति और जटिल होती जा रही है।