कोविड-19 के समय, जब दुनिया अनिश्चितता से जूझ रही थी, महामारी की विकट परिस्थितियों में भारत ने करुणा के साथ नेतृत्व किया। भारत ने एकजुटता का हाथ बढ़ाया। ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के माध्यम से, भारत ने कम विकसित और कमज़ोर देशों को लगभग 300 मिलियन वैक्सीन खुराकें प्रदान कीं, जिनमें से कई निःशुल्क थीं। पीपीई किट से लेकर मास्क और सैनिटाइज़र तक, भारत एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा। आधिकारिक बयान के अनुसार, भारत ने 100 से अधिक देशों को 30 करोड़ से अधिक वैक्सीन की आपूर्ति की है।
दरअसल, कोविड-19 रोधी टीकों के विकास के बाद से ही दुनिया भारत की ओर देख रही है कि वह वैश्विक भलाई के लिए अपनी बेहतरीन वैक्सीन निर्माण क्षमताओं का लाभ उठा सके। वहीं, 20 जनवरी, 2021 को “ वैक्सीन मैत्री ” कार्यक्रम शुरू किया गया। इस मानवीय पहल के हिस्से के रूप में, भारत दुनिया भर के देशों को भारत निर्मित टीकों की आपूर्ति और दान कर रहा है।
कहा जाता है कि जरूरत के समय काम आने वाला मित्र ही सच्चा मित्र होता है, और यह कालजयी वाक्यांश ‘वैक्सीन मैत्री’ अभियान के नाम के पीछे के तर्क को अच्छी तरह से समझाता है और साथ ही अंतर्निहित संदेश को दोहराता है कि भारत व्यापक अर्थों में अनेक लोगों का, मानवता का मित्र था, है और हमेशा रहेगा।
आपको बता दें, भारत ने सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को वैक्सीन देने के साथ वैक्सीन मैत्री पहल की शुरुआत की थी। मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्यांमार के साथ, मॉरीशस और सेशेल्स को वैक्सीन दी गई। इसके बाद थोड़े दूर पर बसे पड़ोसी देशों और खाड़ी के देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई गई। अफ्रीकी क्षेत्रों से लेकर कैरिकॉम देशों तक वैक्सीन की आपूर्ति करने का उद्देश्य छोटे और अधिक कमजोर देशों की मदद करना था। हमारे उत्पादकों ने द्विपक्षीय रूप से या कोवैक्स पहल के माध्यम से अन्य देशों को वैक्सीन आपूर्ति करने के लिए अनुबंध भी किया। भारत ने वर्ष 2021 में 72 देशों को ‘मेड इन इंडिया’ वैक्सीनों की आपूर्ति की थी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति के मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में ” वसुधैव कुटुम्बकम ” (विश्व एक परिवार है) के बार-बार जोर देकर कई बार उजागर किया है। महामारी के शुरुआती दिनों में, भारत ने विदेशों में अपने निर्यात को बढ़ाने के लिए पैरासिटामोल, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू), मास्क और पीपीई किट जैसी चिकित्सा आपूर्ति के विनिर्माण को तेजी से बढ़ाया और 150 से अधिक देशों को इस भयंकर महामारी से निपटने में मदद की। भारत ने 150 देशों को दवाओं की आपूर्ति की और इनमें से 80 देशों को दवाएं अनुदान में दी गईं। हालांकि, कोविड महामारी से निपटना सभी के लिए एक कठिन चुनौती था, लेकिन कोविड-19 महामारी जैसी वैश्विक चुनौती के दौर में भी प्रधानमंत्री मोदी ने गहरी मित्रता को लेकर जो कदम उठाए उससे भारत का विश्व में कद ऊंचा हुआ।
आपको बता दें, फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत की ताकत को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन उत्पादन सुविधा, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का घर होने के साथ ही, यह देश दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में फार्मास्यूटिकल्स का उत्पादन भी करता है। इसके अलावा, भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा वैश्विक आपूर्तिकर्ता भी है, जिसकी मात्रा के मामले में जेनेरिक दवाओं की वैश्विक आपूर्ति में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है।