मई 2025 में भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद कई सवाल उठे कि यह सैन्य कार्रवाई महज चार दिनों में ही क्यों समाप्त हो गई। मंगलवार को थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इन सवालों का जवाब देते हुए युद्ध की अनिश्चितता और इसके पीछे के रणनीतिक पहलुओं को स्पष्ट किया।
एआईएमए के 52वें नेशनल मैनेजमेंट कन्वेंशन में बोलते हुए जनरल द्विवेदी ने कहा, "हममें से ज्यादातर लोग यही कह रहे थे कि यह युद्ध चार दिन के टेस्ट मैच की तरह क्यों खत्म हो गया? हमें नहीं पता था कि यह संघर्ष कितने दिन चलेगा।" उन्होंने बताया कि सशस्त्र बल इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि ऑपरेशन कितने समय तक चलेगा।
लंबे युद्ध के लिए तीन अहम पहलू
आर्मी चीफ ने युद्ध को लंबे समय तक जारी रखने के लिए तीन प्रमुख पहलुओं पर जोर दिया:
फोर्स विज़ुअलाइज़ेशन (बल की योजना): युद्ध की रणनीति और संसाधनों का सटीक आकलन।
फोर्स प्रोटेक्शन (बल की सुरक्षा): दुश्मन के हमलों को झेलने और जवाबी कार्रवाई की क्षमता।
फोर्स एप्लिकेशन (बल का प्रभावी उपयोग): संसाधनों और तकनीक का सही इस्तेमाल।
उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि रूस ने शायद अपनी योजना में गलत गणना की थी। शुरुआत में माना गया था कि यह युद्ध 10 दिनों में खत्म हो जाएगा, लेकिन यह लंबा खिंच गया। वहीं, ईरान-इराक युद्ध 10 साल तक चला। जनरल द्विवेदी ने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी हमें नहीं पता था कि यह कितने दिन चलेगा। युद्ध हमेशा अनिश्चित होता है।"
डेविड बनाम गोलियथ: तकनीक का महत्व
आधुनिक युद्ध में कम लागत वाली उन्नत तकनीक की भूमिका पर जोर देते हुए जनरल द्विवेदी ने डेविड और गोलियथ सिद्धांत का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "कम लागत वाली उन्नत तकनीक किसी बड़े और ताकतवर विरोधी को भी मात दे सकती है।" उन्होंने बताया कि रूस-यूक्रेन युद्ध में भी ऐसी तकनीकों का प्रभाव देखा गया।
सुरक्षा और आत्मनिर्भरता पर जोर
थलसेना प्रमुख ने बल की सुरक्षा को युद्ध का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया। उन्होंने कहा, "हमें दुश्मन के हमलों को झेलने और उसके बाद प्रभावी कार्रवाई करने में सक्षम होना चाहिए।" इसके साथ ही, उन्होंने तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भरता पर बल दिया। "जैसे-जैसे दुश्मन अपनी तकनीक को बेहतर बनाता है, हमें अपनी क्षमताओं को और मजबूत करना होगा। आत्मनिर्भरता इस दिशा में सबसे अहम कदम है।"
ऑपरेशन सिंदूर का विवरण
7 मई 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का जवाब था, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में कई आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। पाकिस्तानी बलों के जवाबी हमलों के बाद भारतीय सेना ने पलटवार किया, जिसके चलते यह संघर्ष चार दिनों तक चला। 10 मई की शाम को दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद सैन्य कार्रवाई रोक दी गई। जनरल द्विवेदी के बयान ने न केवल ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति को स्पष्ट किया, बल्कि भविष्य के युद्धों में तकनीक, सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की अहमियत को भी रेखांकित किया।