बदलते मौसम या सर्दी-जुकाम के दौरान खांसी आना आम बात है, लेकिन अगर खांसी हफ्तों तक बनी रहे और किसी भी दवाई या घरेलू इलाज से राहत न मिले, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो लंबी चलने वाली खांसी को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यह टीबी (क्षयरोग) ही नहीं, बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत भी हो सकती है।
क्या हमेशा खांसी का मतलब टीबी होता है?
अक्सर लोग मान लेते हैं कि लंबे समय तक खांसी रहना यानी टीबी होना। हालांकि यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है। टीबी एक गंभीर और संक्रामक रोग है, लेकिन इसकी पुष्टि तभी होती है जब खांसी के साथ रात में पसीना आना, बुखार, थकान और वजन कम होने जैसे लक्षण भी मौजूद हों। दिल्ली के मूलचंद अस्पताल के पल्मोनोलॉजी विभाग में कार्यरत डॉ. भगवान मंत्री बताते हैं कि अगर खांसी 3 से 4 हफ्ते से अधिक समय तक बनी रहती है, तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए। यह शरीर की ओर से किसी अंदरूनी बीमारी की चेतावनी हो सकती है। नीचे जानिए वे बीमारियां जो टीबी न होकर भी लगातार खांसी की वजह बन सकती हैं:
1. अस्थमा
अस्थमा में सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी जैसे लक्षण होते हैं। यह खांसी खासतौर पर रात या सुबह के समय ज्यादा परेशान करती है। अस्थमा का समय पर इलाज और इनहेलर का उपयोग जरूरी होता है।
2. क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस
इस स्थिति में फेफड़ों की नलियों में सूजन आ जाती है और बलगम का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिससे लगातार खांसी होती रहती है। यह बीमारी खासकर धूम्रपान करने वालों में अधिक पाई जाती है।
3. गैस्ट्रोएसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज
एसिडिटी से भी खांसी हो सकती है। जब पेट का एसिड खाने की नली तक ऊपर आ जाता है, तो गले में जलन और खांसी होती है। इसे जीईआरडी कहा जाता है, जो एक सामान्य लेकिन अनदेखा कारण है।
4. एलर्जी
धूल, परागकण, धुआं या किसी विशेष वस्तु से एलर्जी होने पर भी लंबे समय तक खांसी बनी रह सकती है। इसके साथ छींकें आना, नाक बहना और आंखों में पानी आना जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं।
5. फेफड़ों का कैंसर
हालांकि यह दुर्लभ होता है, लेकिन यदि खांसी के साथ खून आना, तेजी से वजन घटना और लगातार थकान बनी हुई है, तो यह गंभीर संकेत हो सकते हैं। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
कब जाएं डॉक्टर के पास?
अगर आपकी खांसी तीन हफ्ते से ज्यादा समय से बनी हुई है और किसी भी उपाय से राहत नहीं मिल रही, तो अंदाज़े लगाने के बजाय विशेषज्ञ की सलाह लें। केवल टेस्ट और मेडिकल जांच के जरिए ही असली कारण सामने आ सकता है।