जब आप इस संसार में नहीं रहेंगे, तब भी आपकी आंखें दुनिया देख सकेंगी। एक नेत्रदान से छह लोगों की जिंदगी में रोशनी लौट सकती है।” कल्पना कीजिए-आपके जाने के बाद भी कोई आपकी आंखों से रोशनी देख सके। यही है नेत्रदान की शक्ति। एम्स स्थित देश के सबसे बड़े आई सेंटर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज की चीफ डॉ. राधिका टंडन कहती हैं “एक व्यक्ति का नेत्रदान छह लोगों की जिंदगी को रोशनी दे सकता है।”
नेक कार्य की राह में सबसे बड़ी रुकावट है भ्रम और डर
लेकिन इस नेक कार्य में सबसे बड़ी बाधा है भ्रम और डर। बहुत से लोग सोचते हैं कि नेत्रदान से आंखें निकाल ली जाती हैं या इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। जबकि सच्चाई यह है कि कॉर्निया सिर्फ मृत्यु के बाद दान किया जाता है और यह पूरी तरह सुरक्षित और पारदर्शी प्रक्रिया है।
कैसे होता है नेत्रदान?
सिर्फ कॉर्निया लिया जाता है, पूरी आंख नहीं। दान के बाद मृतक के चेहरे पर कोई बदलाव नहीं आता। आई बैंक में कॉर्निया प्रोसेस कर योग्य मरीज को ट्रांसप्लांट किया जाता है। उद्देश्य सिर्फ एक है अंधेरे में डूबे जीवन में फिर से रोशनी लाना।
एम्स का बड़ा प्रयास
एम्स स्थित नेशनल आई बैंक की चेयरपर्सन डॉ. नम्रता शर्मा ने बताया कि अब तक 36,000 से अधिक कॉर्निया इकट्ठा किए गए और 26,000 से ज्यादा लोगों की आंखों की रोशनी लौटाई जा चुकी है। साल 2024 में ही 1,931 कॉर्निया जुटाए गए जिनमें से 83% अस्पतालों से प्राप्त हुए।
उम्र या मृत्यु का कारण कोई बाधा नहीं
डॉ. नम्रता बताती हैं “आई डोनेशन में किसी को मना नहीं किया जाता। चाहे उम्र कोई भी हो, मृत्यु का कारण कुछ भी हो, हर कॉर्निया लिया जाता है।”80% कॉर्निया मरीजों के लिए इस्तेमाल हो जाते हैं और शेष मेडिकल शिक्षा में काम आते हैं।
नई तकनीक और नवाचार
एम्स में बिना टांके के कॉर्निया प्रत्यारोपण (DMEK) तकनीक से मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। 2024 में पहली बार एम्स में ड्रोन से कॉर्निया लाने का प्रयोग हुआ, जिससे समय बचा और ज्यादा मरीजों तक मदद पहुंची।बच्चों के लिए विशेष पेडियाट्रिक केराटोप्लास्टी हेतु टिशू इकट्ठा किए जा रहे हैं। एम्स और IIT दिल्ली एक साथ मिलकर बायोइंजीनियर्ड कॉर्निया पर भी शोध कर रहे हैं, जिससे जरूरत पड़ने पर दूर दराज के इलाकों में भी कॉर्निया प्रत्यारोपण किया जा सकेगा।
नेत्रदान इंसानियत की सबसे बड़ी सेवा
डॉ. राजेश सिन्हा कहते हैं “भारत में हर साल हज़ारों कॉर्निया प्रत्यारोपण होते हैं, लेकिन ज़रूरत उससे कहीं ज्यादा है। इसके लिए हर किसी को आगे आकर संकल्प लेना होगा।” नेत्रदान पखवाड़ा हो या कोई अन्य अवसर, संदेश एक ही है “जब आप नहीं रहेंगे, आपकी आंखें फिर भी किसी की जिंदगी रोशन कर सकती हैं।”