मणिपुर में लंबे समय से जारी जातीय संघर्ष और अस्थिरता के बीच केंद्र सरकार और मणिपुर सरकार ने गुरुवार को कुकी-ज़ो समूहों के साथ एक अहम त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य राज्य की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखना और शांति प्रक्रिया को नई दिशा देना है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के दूसरे सप्ताह में मणिपुर का दौरा कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मई 2023 में हुई हिंसा के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी।
NH-2 खोलने पर बनी सहमति
इस समझौते की प्रमुख शर्तों में राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) को फिर से खोलना शामिल है, जिससे यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही बिना किसी बाधा के संभव हो सकेगी। कुकी-ज़ो परिषद (Kuki-Zo Council) ने भरोसा दिया है कि वे सुरक्षा बलों के साथ मिलकर इस रूट पर शांति बनाए रखेंगे। गृह मंत्रालय और कुकी समूहों के बीच कई दौर की बातचीत के बाद यह सहमति बनी है।
हिंसा और उसकी पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि मणिपुर में मई 2023 में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच भयंकर जातीय हिंसा भड़क उठी थी। यह संघर्ष उस समय शुरू हुआ, जब मणिपुर हाईकोर्ट ने तत्कालीन बीरेन सिंह सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने पर विचार करने को कहा। इस हिंसा में अब तक लगभग 260 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें दोनों समुदायों के लोग और सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। हालांकि हाल के महीनों में हालात कुछ हद तक शांत हुए हैं।
आज हुए इस समझौते के तहत त्रिपक्षीय ऑपरेशन सस्पेंशन (SoO) समझौते में नए संशोधन किए गए हैं, जो तुरंत प्रभाव से लागू हो गए हैं और अगले एक वर्ष तक प्रभावी रहेंगे। इनमें खास जोर मणिपुर की भौगोलिक एकता बनाए रखने पर है।
संघर्ष क्षेत्र से हटाए जाएंगे कुकी गुटों के कैंप
कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) ने सहमति दी है कि वे अपने सात कैंप संघर्षग्रस्त इलाकों से हटा कर अन्य जगहों पर स्थानांतरित करेंगे। इससे राज्य में तनाव कम होगा और शांति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। समझौते के तहत तय किया गया है कि समूहों के पास मौजूद हथियारों को नजदीकी CRPF या BSF कैंपों में जमा कराया जाएगा। साथ ही, शिविरों की संख्या भी घटाई जाएगी। सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों का कड़ा शारीरिक सत्यापन किया जाएगा, ताकि किसी भी विदेशी नागरिक की पहचान कर उसे सूची से हटाया जा सके।
उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई
इन नए नियमों पर नजर रखने के लिए एक संयुक्त निगरानी समिति (Joint Monitoring Group) का गठन किया गया है, जो इस समझौते के पालन को सुनिश्चित करेगी। यदि किसी भी तरह का उल्लंघन पाया गया, तो तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ज़रूरत पड़ने पर SoO समझौते की समीक्षा भी की जा सकती है।