केंद्र सरकार की एलपीजी सब्सिडी के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटीएल) योजना ने घरेलू रसोई गैस सब्सिडी सीधे उपभोक्ताओं के बैंक खातों में पहुंचाने की प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाया है। इस योजना के तहत अब तक लगभग 4.08 करोड़ नकली, फर्जी, अस्तित्वहीन या निष्क्रिय LPG कनेक्शनों को अवरुद्ध, निलंबित या निष्क्रिय किया जा चुका है। इससे सब्सिडी का लाभ सही और वास्तविक उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में बड़ी मदद मिली है।
पारदर्शिता और डिजिटल पहल से फायदा
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को संसद में बताया कि सब्सिडी की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाने के लिए निरंतर सुधार जारी है। मंत्री ने कहा कि सरकार ने पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए PAHAL (डीबीटीएल) योजना, आधार आधारित सत्यापन, और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसी तकनीकों को अपनाया है। इसके साथ ही, गैर-योग्य या डुप्लीकेट कनेक्शन की पहचान कर उन्हें सिस्टम से हटाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन पहलों के चलते सब्सिडी का लाभ सही और ज़रूरतमंद उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है।
डिजिटल ट्रैकिंग और रिफिल बुकिंग में सुधार
हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि देशभर के सभी LPG वितरकों में IVRS/SMS आधारित रिफिल बुकिंग प्रणाली लागू की गई है। इस प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को सिलेंडर बुकिंग, कैश मेमो जनरेशन और डिलीवरी के दौरान एसएमएस के जरिए सूचनाएं मिलती हैं, जिससे वे अपने ट्रांजैक्शन को मॉनिटर कर सकते हैं और किसी गड़बड़ी की स्थिति में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड से धोखाधड़ी पर अंकुश
सरकार ने डिलीवरी की प्रमाणीकरण प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए डिलीवरी ऑथेंटिकेशन कोड (DAC) भी शुरू किया है। यह कोड रिफिल मिलने के समय SMS के जरिए उपभोक्ता को भेजा जाता है, जिसे डिलीवरी एजेंट के साथ साझा करना आवश्यक होता है। इससे डिलीवरी में धोखाधड़ी की संभावना काफी कम हो गई है।
कड़े नियम और कदाचार पर सख्त कार्रवाई
LPG के वितरण को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने “द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस (आपूर्ति एवं वितरण विनियमन) आदेश, 2000” लागू किया है। इसके अतिरिक्त, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने कदाचार रोकने के लिए विपणन अनुशासन दिशानिर्देश भी जारी किए हैं। इन दिशानिर्देशों के तहत अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने वाले वितरकों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई होती है।