हिमाचल प्रदेश में मंगलवार रात से जारी मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। प्रदेशभर से भूस्खलन, पेड़ गिरने और जलभराव की घटनाएं सामने आ रही हैं। चंडीगढ़-मनाली, कालका-शिमला और पठानकोट-कांगड़ा हाईवे सहित 500 से ज्यादा सड़कें पूरी तरह से बंद हो गई हैं, जिससे यातायात ठप है।
चंडीगढ़-मनाली और अन्य हाईवे ठप
-चंडीगढ़-मनाली फोरलेन दवाड़ा क्षेत्र में बंद
-कालका-शिमला मार्ग पर चक्की मोड़ के पास भूस्खलन
-पठानकोट-कांगड़ा हाईवे भी अवरुद्ध
इन प्रमुख मार्गों के बंद होने से सैकड़ों यात्री बीच रास्ते फंसे हुए हैं और वैकल्पिक रूट्स पर भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं।
4 जिलों में स्कूलों की छुट्टी
भारी बारिश के खतरे को देखते हुए शिमला, मंडी, कुल्लू और सोलन जिलों में प्रशासन ने स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी है। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह निर्णय लिया गया है।
कोलडैम से छोड़ा गया पानी, पंजाब में अलर्ट
भारी बारिश के चलते कोलडैम के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण डैम से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया, जिससे पंजाब के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन ने सतर्कता बरतने के निर्देश जारी किए हैं और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी तेज कर दी गई है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भयंकर मॉनसून तबाही की चपेट में है। सोमवार रात से शुरू हुई तेज बारिश ने मंगलवार सुबह तक राज्य के अधिकांश हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। विशेष रूप से मंडी जिला, जो पहले से आपदा का सामना कर रहा था, अब हालात और गंभीर हो चुके हैं। राज्य में मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, वहीं ऊना, कांगड़ा और बिलासपुर जैसे जिलों में अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी दी गई है। प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने और अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने की अपील की है।
मंडी में मूसलाधार बारिश और बर्बादी
मंडी के सुंदरनगर उपमंडल में भारी वर्षा के चलते चार सरकारी स्कूलों में छुट्टी घोषित की गई है।
151 मिमी तक वर्षा दर्ज की गई, जो पूरे प्रदेश में सर्वाधिक रही।
नदियां और नाले उफान पर हैं, कोलडैम और पंडोह डैम से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
सड़कों और बिजली व्यवस्था पर भारी असर
449 सड़कें और 4 नेशनल हाइवे बंद, जिनमें मंडी-कुल्लू NH-21, मंडी-धर्मपुर NH-003, मंडी-जोगिंदरनगर NH-154 और कुल्लू का NH-305 शामिल हैं।
783 ट्रांसफॉर्मर ठप, जिनमें अकेले मंडी में 656 प्रभावित हैं।
कुल्लू, सिरमौर, कांगड़ा समेत अन्य जिलों में भी विद्युत आपूर्ति बाधित।
घरों और संपत्तियों को भारी नुकसान
अब तक 1692 घरों को नुकसान, इनमें से 464 पूरी तरह ढह गए।
298 दुकानें और 1524 पशुशालाएं भी क्षतिग्रस्त।
सबसे अधिक नुकसान मंडी जिले में, जहां 1089 मकान प्रभावित और 391 ध्वस्त हो गए।
पेयजल योजनाएं भी ठप
276 पेयजल योजनाएं प्रभावित, जिनमें कांगड़ा (120), मंडी (86) और चंबा (49) शामिल हैं।
मौतों और नुकसान का आंकड़ा डरावना
अब तक 192 लोगों की मौत, जिनमें सबसे ज्यादा 42 मौतें मंडी में दर्ज।
चंबा में भी बड़ा भू-स्खलन, दर्जनों गांव कटे
अन्य जिलों में कांगड़ा (30), कुल्लू, शिमला और चंबा (18-18), हमीरपुर (12), ऊना और किन्नौर (11-11), सोलन (13), बिलासपुर (8), लाहौल-स्पीति (6), और सिरमौर (5) में जानें गईं। 1753 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान, जिसमें लोक निर्माण विभाग को 888 करोड़ और जलशक्ति विभाग को 618 करोड़ का नुकसान हुआ। चंबा जिले के भरमौर की बलोठ पंचायत में भारी भूस्खलन से करीब एक दर्जन गांवों का संपर्क टूट गया है। मौसम विभाग ने 6 से 11 अगस्त तक राज्य के कई हिस्सों में येलो अलर्ट जारी किया है।