मुंबई। महाराष्ट्र में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के तहत करीब दो दशक बाद चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे करीब 20 साल बाद महाराष्ट्र और मराठी-मानुष के मुद्दे पर शविवार को मंच पर नजर आए। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति और विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता ठाकर बंधुओं के मिलन को बहुत उत्सुकता से देख रहे हैं। इस ऐतिहासिक मिलन से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। श्री उद्धव ठाकरे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)पार्टी के प्रमुख हैं और उनकी पार्टी एमवीए की सहयोगी है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संस्थापक अध्यक्ष राज ठाकरे फिलहाल किसी गठबंधन में शामिल नहीं हैं।
राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे से मतभेद के बाद वर्ष 2005 में बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से बाहर हो गए थे और वर्ष 2006 में उन्होंने मनसे का गठन किया था। वर्ष 2026 में शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की 100वीं जयंती और शिवसेना का 60वां स्थापना वर्ष होगा। बालासाहेब ठाकरे 23 जनवरी 1926 को शिव सेना का गठन किया था। विभाजन के कारण यह पार्टी दोराहे पर खड़ी है, जो कभी राज्य की राजनीति में एक प्रमुख स्थान रखती थी। महाराष्ट्र में 25 साल से अधिक समय से गठबंधन की राजनीति चलन में रही है।
प्रतिष्ठित शिवाजी पार्क से बालासाहेब ठाकरे ने 30 अक्टूबर, 1966 को अपनी पहली दशहरा रैली में ‘80 टके समाज-करण, 20 टके राज-करण’ (80 प्रतिशत सामाजिक कार्य, 20 प्रतिशत राजनीति) का संदेश दिया था। मौजूदा समय में चचेर ठाकरे बंधु अपनी-अपनी पार्टियों के पुनरुद्धार के लिए ‘पुराने धर्रे पर लौटने’ की योजना बना रहे हैं। दोनों पार्टियों ने वर्ष 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है। शिवसेना की राजनीतिक यात्रा में चार प्रमुख विद्रोह हुए हैं। इस में पहला श्री छगन भुजबल (1991), उसके बाद श्री नारायण राणे (2005), फिर श्री राज ठाकरे (2005-06) और अंत में श्री एकनाथ शिंदे (2022) ने बगावत की। मौजूदा समय में श्री शिंदे के पास ‘धनुष-बाण’ चुनावी चिह्न वाली ‘असली’ शिव सेना है।
राज ठाकरे ने नौ मार्च, 2006 को मनसे का गठन किया था और उनका चुनाव चिह्न ‘रेलवे इंजन’ है जबकि उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख हैं और उनका चुनाव चिह्न ‘मशाल’ है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया थी। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में कांग्रेस और अविभाजित शिवसेना और श्री शरद पवार के नेतृत्व वाली अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल थी।
शिवसेना से अलग होने के बाद एकनाथ शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बने थे और पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बने थे। एक साल बाद अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत की और उपमुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। पार्टी के लिए वर्ष 2024 का साल मिलाजुला रहा। लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में एमवीए ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ (आरएसएस) के समर्थन से फडणवीस ने बाजी पलट दी। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना मुश्किल से 20 सीटें जीत पाई, जबकि मनसे अपना खाता भी नहीं खोल पायी।