लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज शनिवार को कहा कि भारत अब वैश्विक स्तर पर दवाओं, टीका निर्माण और चिकित्सा अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है। उन्होंने यह बात दिल्ली में आयोजित इनोवेटिव फिजिशियंस फोरम की 7वीं वार्षिक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘आईपीएफ मेडिकाॅन 2025’ को संबोधित करने के दौरान कही। उन्होंने भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की गुणवत्ता, सुलभता और किफायती सेवाओं की सराहना की। ओम बिरला ने कहा, “भारत की दवा निर्माण, टीका उत्पादन और जैव-चिकित्सीय अनुसंधान क्षमताएं दर्शाती हैं कि हमारा देश औषधि और चिकित्सा अनुसंधान का केंद्र बन रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने वैश्विक मंच पर एक अहम स्थान बना लिया है। उन्होंने बताया कि देश ने चिकित्सा ढांचे और सेवा वितरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जो सभी के लिए प्रभावी और किफायती साबित हो रही है। उन्होंने डिजिटल स्वास्थ्य तकनीकों, स्वास्थ्य सेवाओं की व्यापक पहुंच और सस्ती चिकित्सा के क्षेत्र में हुए विकास को भी सराहा।
कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय डॉक्टरों की भूमिका पर विशेष रूप से बात करते हुए बिरला ने कहा, “सीमित संसाधनों के बावजूद डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा, समर्पण और त्याग के कारण भारत ने कोविड संकट का प्रभावी रूप से प्रबंधन किया और लाखों लोगों का सफल इलाज किया। यह भारत की स्वास्थ्य प्रणाली की विश्वसनीयता का सच्चा प्रमाण है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय डॉक्टर नवाचार और अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाकर वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत के कुशल वैज्ञानिक, मजबूत अनुसंधान ढांचा और नवाचार पर केंद्रित दृष्टिकोण से देश और दुनिया दोनों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाया जा रहा है।
बिरला ने सुझाव दिया कि अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने वाली पहलों तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग से भारत की भूमिका वैश्विक स्वास्थ्य भविष्य को आकार देने में और सशक्त होगी। उन्होंने यह भी बताया कि आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाएं गरीबों को निःशुल्क इलाज और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। उन्होंने कहा, “विज्ञान और तकनीक में हो रही तेज प्रगति का उपयोग उभरती बीमारियों की रोकथाम, नए उपचारों के विकास और समग्र स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने में किया जाना चाहिए। इसके लिए नवाचार की संस्कृति और निवेश को बढ़ावा देना आवश्यक है।”-(