पंजाब में लुधियाना प्रशासन ने सतलुज नदी के तेज़ बहाव के कारण जिले के पूर्वी हिस्से में सतलुज नदी पर बने ससराली बांध पर भारी दबाव पडऩे के बाद अलर्ट जारी कर दिया है। सतलुज के तेज बहाव से बांध और नदी के बीच की मिट्टी खिसक चुकी है। बांध में दरार आने की आशंका से बांध के पास सेना और एनडीआरएफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं। हालात संभालने के लिए पुलिस आयुक्त स्वप्न शर्मा और जिला उपायुक्त हिमांशु जैन बांध पर डटे हुए हैं।
अगर ससराली ‘तटबंध’ और कमज़ोर होकर टूटता है, तो ससराली, बूंट, रावत, हवास, सीरा, बूथगढ़, मंगली टांडा, ढेरी, ख्वाजके, ख़ासी खुर्द, मंगली कादर, मत्तेवाड़ा, मंगत और मेहरबान जैसे गांवों में बाढ़ आ सकती है। जिला प्रशासन ने निवासियों को सतर्क रहने, जहां तक संभव हो ऊपरी मंजिलों पर चले जाने, तथा यदि वे निचले या एक मंजिला मकानों में रहते हैं, तो उन्हें अस्थायी रूप से सुरक्षित आश्रयों में चले जाने की सलाह दी गयी है। इन इलाकों के लोगों को जरूरी सामान और दस्तावेज सुरक्षित रखने सलाह दी गयी है। इसके अलावा लोगों से कहा गया है कि लगातार सतर्क रहें और हालात पर नजर बनाए रखें। यदि दो मंजिला मकान में हैं, तो ऊपरी मंजिल पर ही रहें। निचले इलाकों या एक मंजिला घरों में रहने वाले लोग अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर चले जाएंं।
शहर को बचाने के लिए बनाया जा रहा 10 फुट ऊंचा रिंग
बांध टूटने के बाद पानी शहर की तरफ जाने से रोकने के लिए उसके 500 मीटर दूरी पर 10 फुट ऊंचा रिंग बांध बनाया जा रहा है, ताकि पानी के तेज बहाव को रोका जा सके। अगर यह बांध टूटा तो लुधियाना के 14 गांवों में बाढ़ आ सकती है, जिसके बाद राहों रोड, टिब्बा रोड, ताजपुर रोड, नूरवाला रोड, समराला चौक तक पानी आ सकता है। इसके अलावा साहनेवाल में धनांसू की तरफ भी इसकी मार पड़ सकती है। पचास हजार से ज्यादा लोगों को बांध टूटने से ज्यादा खतरा हो सकता है। सतलुज नदी में भाखड़ा बांध से छोड़ा हुआ पानी बहता है। बांध का जलस्तर खतरे के निशान 1680 से थोड़ा कम यानी 1678.74 फुट पर चल रहा है। इसके चारों गेट 10-10 फुट तक खोले गए हैं। इस समय भाखड़ा बांध में पानी की आमद 76,318 क्यूसिक है, जबकि निकासी 80,792 क्यूसेक की जा रही है। शुक्रवार को हालांकि मौसम साफ रहने और चटक धूप खिलने से लोगों ने राहत की सांस ली है। जनजीवन सामान्य होने लगा है। बाढ़ के पानी में डूबे क्षेत्रों से भी पानी घटने लगा है।
22 जि़लों के 1902 गांव प्रभावित
राज्य में आई भीषण बाढ़ के कारण 22 जि़लों के 1902 गांव प्रभावित हुए हैं, जबकि 15 जि़लों की 3.84 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई है। प्रभावित आबादी को ठहराने के लिए राज्य में इस समय 196 राहत शिविर विभिन्न स्थानों पर जारी हैं। 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है और सबसे अधिक प्रभावित जि़लों में गुरदासपुर, अमृतसर, फाजि़ल्का, फिरोज़पुर, कपूरथला और मानसा शामिल हैं।
अब तक 43 मौतें
राज्य के राजस्व मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां के अनुसार अब तक बाढ़ प्रभावित इलाकों से 20,972 व्यक्तियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। चौदह जि़लों में अब तक कुल 43 मौतें हो चुकी हैं। सबसे अधिक होशियारपुर में सात और पठानकोट में छह मौतें हुई हैं, जबकि बरनाला और अमृतसर में पांच-पांच, लुधियाना और बठिंडा में चार-चार, मानसा में तीन, गुरदासपुर और एस.ए.एस. नगर में दो-दो, तथा पटियाला, रूपनगर, संगरूर, फाजि़ल्का और फिरोज़पुर में एक-एक व्यक्ति की मौत दर्ज हुई है। उन्होंने बताया कि पठानकोट के तीन व्यक्ति अभी भी लापता हैं।
18 जिलों की फसलें बर्बाद
फसलों के नुकसान की जानकारी देते हुए श्री मुंडियां ने कहा कि राज्य के 18 जि़लों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि अकेले गुरदासपुर में 40,169 हेक्टेयर फसल का नुकसान हुआ है, इसके बाद अमृतसर में (26,701)हेक्टेयर, फाजि़ल्का (17,786), फिरोज़पुर (17,221), कपूरथला (17,807), तरनतारन (12,828), मानसा (11,042), संगरूर (6560), होशियारपुर (8322), जालंधर (4800), एस.ए.एस. नगर (2000), पठानकोट (2442), मोगा (2240), पटियाला (600), बठिंडा (587), एस.बी.एस. नगर (362), रूपनगर (300) और लुधियाना (32) हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं।