चंडीगढ़ : जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य संभाल कर्मियों के मान और भलाई को कायम रखने के लिए एक ठोस कदम उठाते हुए पंजाब सरकार ने आज ऐलान किया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के अंतर्गत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में काम करने वाले मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (ए.एस.एच.ए.) और आशा फैसीलीटेटर अब छह महीने की मातृत्व अवकाश के हकदार होंगे। यह लाभ मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत दिया जाएगा।
एक प्रेस बयान में मंत्री ने खुलासा करते हुए बताया कि यह फैसला सरकार की मौजूदा नीति के अनुरूप है, जिसमें सभी महिला कर्मियों को 180 दिनों की पूरी तनख्वाह वाली मातृत्व अवकाश प्रदान की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अवकाश किसी अन्य अवकाश खाते से नहीं काटा जाएगा। यह भी बताया कि मैटर्निटी बेनिफिट एक्ट, 1961 और 12 अप्रैल, 2017 के एक सर्कुलर के तहत पहले से ही सभी महिला कर्मियों को कवर किया जा रहा है, चाहे वे ठेके के आधार पर काम कर रही हों, सलाहकार के रूप में, या किसी एजेंसी के माध्यम से। उन्होंने कहा कि विभाग ने पहले ही ठेके, सलाहकार और आउटसोर्स किए गए कर्मियों को मैटर्निटी बेनिफिट के लिए स्वीकृति दे दी है।
मंत्री ने आगे कहा कि इसी के मद्देनजर, वित्त विभाग ने अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की मैटर्निटी बेनिफिट अधिनियम, 1961 के तहत 'आशा' और 'आशा फैसीलीटेटर' को छह महीने की मातृत्व अवकाश देने की विनती को आधिकारिक रूप से मंजूरी दे दी है। मंत्री ने कहा कि इस फैसले से 'आशा वर्करों' के जीवन पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिनमें से कई पारिवारिक और देखभाल की भूमिकाओं के साथ-साथ पेशेवर जिम्मेदारियां निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि मातृत्व अवकाश को संस्थागत बनाकर पंजाब सरकार ने जन सेवा के मोर्चों पर कार्यरत महिलाओं की सेहत, मान और सशक्तिकरण प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि की है।