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जीएसटी सुधार खाद्यान्नों को किफायती और उद्योगों को बनाएंगे प्रतिस्पर्धी, लॉजिस्टिक्स लागत भी होगी कम

15 सितंबर, 2025 12:10 PM

नई दिल्ली : केंद्र द्वारा सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार, फूड प्रोसेसिंग और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में जीएसटी सुधार उद्योगों के लिए पूर्वानुमान की योग्यता, ग्राहकों के लिए खरीदारी और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता सुनिश्चित करते हैं। सरकार का कहना है कि आवश्यक खाद्यान्नों, पैकेजिंग सामग्री और परिवहन वाहनों पर जीएसटी रेट को कम कर न केवल कराधान को सरल बनाया गया है, बल्कि यह सुधार फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक्स और इससे जुड़े उद्योगों के सस्टेनेबल डेवलपमेंट की मजबूत नींव भी रखता है।


आधिकारिक बयान के अनुसार, अल्ट्रा-हाई टेम्प्रेचर (यूएचटी) दूध, पनीर/ छेना, पराठा/ परोटा, खाखरा, चपाती/ रोटी, पिज्जा ब्रेड जैसे खाद्यान्नों को जीएसटी से छूट दी गई है। इसके अलावा, पैकेज्ड फूड/ स्नैक्स, चॉकलेट, सॉस, जूस, कॉफी जैसी वस्तुओं पर जीएसटी रेट को घटा कर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे मांग और इससे जुड़े उद्योग को प्रोत्साहन मिलना सुनिश्चित होगा।

क्रेट और कागज जैसी पैकेजिंग सामग्री पर जीएसटी रेट अब 5 प्रतिशत है, जिससे लॉजिस्टिक्स और उत्पादन लागत में कमी आएगी।

ट्रकों और मालवाहक वाहनों पर जीएसटी रेट को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे माल ढुलाई दरों में कमी और सप्लाई चेन मजबूत आएगी।

सरकार ने 3 सितंबर, 2025 को जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में अधिकांश खाद्यान्नों को 5 प्रतिशत या जीरो टैक्स स्लैब में लाने के साथ फूड प्रोसेसिंग उद्योग में कराधान को सरल बनाने का लक्ष्य रखा है। यह फ्रेमवर्क व्यवसायों के लिए एकरूपता, पारदर्शिता और अनुपालन में आसानी लाता है।

केंद्र के अनुसार, वर्गीकरण से जुड़े मुद्दों के कारण कुछ भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है, जहां समान सामग्री वाले उत्पादों को अलग-अलग कर स्लैब में रखा जाता है। इससे आमतौर पर उद्योग और उपभोक्ताओं दोनों के लिए विवाद, मुकदमेबाजी और अनिश्चितता पैदा होती है। ऐसे में नया फ्रेमवर्क विवाद की गुंजाइशों को कम करता है।

भारत में खाद्यान्नों की पहुंच और खरीदने की क्षमता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी पहलें भी चलाई जाती हैं।

सरकार की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के जरिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। एनएफएसए लक्ष्य की गई सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत को काफी रियायती दाम पर खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार देता है।

इसी तरह, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) 81.35 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को निःशुल्क खाद्यान्न प्रदान कर इस पहुंच को मजबूत कर रही है, इस योजना को जनवरी 2024 से पांच वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।

इसके अतिरिक्त, सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष और भारत दाल व भारत चावल जैसे प्रमुख खाद्यान्नों की रियायती बिक्री जैसी पहलों का इस्तेमाल कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने और आवश्यक खाद्यान्नों को किफायती बनाने के लिए करती है।

 

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