उत्तर प्रदेश को आयुष चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी सौगात मिलने जा रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु आज मंगलवार को गोरखपुर में राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करेंगी। यह विश्वविद्यालय भटहट क्षेत्र के पिपरी गांव में 52 एकड़ भूमि पर 267.50 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इस विश्वविद्यालय की आधारशिला 28 अगस्त 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रखी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह ड्रीम प्रोजेक्ट आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने और मेडिकल टूरिज्म को प्रोत्साहित करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।
हालांकि, इस विश्वविद्यालय में आयुष ओपीडी की शुरुआत पहले ही 15 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की जा चुकी है। वर्तमान में यहां आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी पद्धतियों के तहत रोजाना लगभग 300 मरीज परामर्श ले रहे हैं। अब तक लगभग 1.25 लाख मरीज यहां आयुष चिकित्सकों से इलाज ले चुके हैं। लोकार्पण के बाद यहां इनडोर सेवा (आईपीडी), ऑपरेशन थिएटर (ओटी) और पंचकर्म जैसी सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी। वहीं 28 कॉटेज वाला आधुनिक पंचकर्म केंद्र भी लोगों के लिए जल्द ही उपलब्ध होगा।
इस विश्वविद्यालय के शुरू होने से गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। आसपास के गांवों के लोग जड़ी-बूटियों का संग्रह कर अतिरिक्त आय अर्जित कर सकेंगे, वहीं किसान औषधीय पौधों की खेती से अधिक मुनाफा कमा सकेंगे। यह विश्वविद्यालय पूर्वी उत्तर प्रदेश में आयुष आधारित चिकित्सा और हेल्थ टूरिज्म का केंद्र बनकर उभरेगा। राज्य के पहले आयुष विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद उत्तर प्रदेश के सभी 98 सरकारी व निजी आयुष कॉलेजों का नियमन अब इसी विश्वविद्यालय के माध्यम से किया जाएगा। इससे शिक्षा व्यवस्था में समन्वय और गुणवत्ता में सुधार आएगा।
गोरखपुर अब उन चुनिंदा जिलों में शामिल हो जाएगा जहां चार विश्वविद्यालय दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय और अब महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं। आने वाले समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा घोषित फॉरेस्ट्री विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद यह संख्या पांच हो जाएगी।