नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के चलते केंद्र सरकार ने उन्हें हटाने की प्रक्रिया को लेकर तेजी दिखाई है। संसद के आगामी मानसून सत्र के दौरान जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए संबंधित सदन (लोकसभा या राज्यसभा) के पीठासीन अधिकारी द्वारा एक और जांच समिति का गठन किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस समिति को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए तीन महीने से भी कम समय दिया जाएगा, ताकि जस्टिस वर्मा के खिलाफ कार्रवाई में और देरी न हो सके।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि न्यायपालिका से जुड़े मामले राजनीति से परे होने चाहिए, इसलिए सरकार ने सभी प्रमुख दलों से संपर्क किया है। उन्होंने कहा कि जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया पर सभी दलों का एकीकृत रुख होगा। रिजिजू ने बताया कि सरकार अगले सप्ताह सांसदों के हस्ताक्षर एकत्र करना शुरू करेगी, लेकिन उससे पहले यह तय करेगी कि किस सदन को महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। रिजिजू ने कहा कि प्रमुख विपक्षी दलों ने जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।