बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और सुधार करने के लिए चल रहे SIR अभियान का सोमवार को अंतिम दिन था। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने आरजेडी और एआईएमआईएम की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि हर जिले में पैरा लीगल वॉलंटियर्स को एक्टिव किया जाए, ताकि मतदाता और राजनीतिक दल समय पर अपने एतराज और सुधार दर्ज करा सकें।
डेडलाइन बढ़ाने की मांग
RJD और AIMIM ने चुनाव आयोग से मतदाता सूची में सुधार की डेडलाइन को 15 सितंबर तक बढ़ाने की मांग की थी। उनका आरोप है कि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम गलत तरीके से हटा दिए गए हैं, जिससे वे अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी। चुनाव आयोग ने अदालत को यह आश्वासन दिया है कि 1 सितंबर की समयसीमा के बाद भी जो फॉर्म प्राप्त होंगे, उन्हें अंतिम सूची में शामिल कर लिया जाएगा। यह कदम उन मतदाताओं के लिए राहत भरा है जो अंतिम दिन तक आवेदन नहीं कर पाए।
लाखों नाम हटाने के लिए आए आवेदन
मतदाता सूची में सुधार के इस अभियान के दौरान राज्य स्तर पर अब तक 33,326 आवेदन नाम जोड़ने के लिए और 2,07,565 आवेदन नाम हटाने के लिए प्राप्त हुए हैं। खास बात यह है कि विपक्षी दलों के ज्यादातर आवेदन मतदाताओं के नाम हटाने से संबंधित हैं। सीपीआई (एमएल) ने 118 आवेदन दिए, जिनमें से 103 नाम हटाने के लिए थे। वहीं RJD ने 10 आवेदन दिए, जो सभी नाम जोड़ने के लिए थे। इस अभियान के तहत 18 साल से अधिक उम्र के 15,32,428 नए मतदाता बन रहे हैं।
30 सितंबर को जारी होगी अंतिम सूची
चुनाव आयोग ने सभी जिला अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी की जाएगी। मतदाता चुनाव से संबंधित किसी भी जानकारी या सहायता के लिए वोटर हेल्पलाइन नंबर 1950 पर संपर्क कर सकते हैं।