पंजाब में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने हालात को बेहद गंभीर बना दिया है। राज्य के 23 में से 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। सतलुज, ब्यास और रावी नदियों के उफान पर आने से गुरदासपुर, अमृतसर, फिरोजपुर, कपूरथला, होशियारपुर जैसे जिलों में भारी तबाही हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 1,018 गांव पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं और करीब 3 लाख एकड़ में खड़ी फसलें पूरी तरह से नष्ट हो गई हैं। इस आपदा में अब तक 29 लोगों की मौत हो चुकी है और 2.56 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। राहत और बचाव के लिए सेना, NDRF, BSF और पंजाब पुलिस पूरी मुस्तैदी से जुटी हुई है।
सीएम की केंद्र से अपील मांगा 60,000 करोड़ का राहत पैकेज
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर हरसंभव सहायता का अनुरोध किया है। उन्होंने केंद्र सरकार से 60,000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता की मांग की है और किसानों को मिलने वाले मुआवजे को बढ़ाकर 17,000 रुपये प्रति हेक्टेयर से 50,000 रुपये प्रति एकड़ करने की अपील की है।
11,300 लोगों की जान बचाई गई
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के अंतर्गत अब तक 11,300 से ज्यादा लोगों को बचाया गया है और 4,700 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अमृतसर में ड्रोन की मदद से दूध पाउडर, पीने का पानी और सूखा राशन लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। फिरोजपुर में BSF गांव-गांव जाकर लोगों को सुरक्षित निकाल रही है। लुधियाना में सीवर ओवरफ्लो और सड़कों पर पानी भर जाने से हालात बेहद खराब हो चुके हैं। वहीं रोपड़ और आस-पास के इलाके अलर्ट पर हैं कि कहीं वहां भी बाढ़ का पानी न घुस जाए।
कलाकार भी बने मसीहा
पंजाब के कलाकार भी इस मुश्किल समय में पीछे नहीं हैं। गायिका सुनंदा शर्मा खुद गांव-गांव जाकर राहत सामग्री बांट रही हैं। गुरदास मान ने 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद के साथ 5 लाख रुपये की दवाएं भी दान की हैं। वहीं दिलजीत दोसांझ ने 10 गांवों को गोद लेकर राहत कार्य में योगदान दिया है।
हिमाचल और उत्तराखंड में भी तबाही
केवल पंजाब ही नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी मानसून आफत बनकर टूटा है। हिमाचल में 91 फ्लैश फ्लड, 45 क्लाउडबर्स्ट और 95 बड़े भूस्खलन 20 जून से 30 अगस्त तक हो चुके हैं। कुल्लू-मनाली का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। नेशनल हाईवे-3 नदी में समा गया है और जगह-जगह पुल बह चुके हैं। ब्यास नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और ओल्ड मनाली को जोड़ने वाला पुल टूट गया है। भाखड़ा नांगल डैम खतरे के निशान के करीब पहुंच चुका है और इसके चार गेट खोल दिए गए हैं। इससे और इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर भी नहीं बचे, हजारों सड़कें बंद
उत्तराखंड में गंगोत्री और यमुनोत्री हाईवे भूस्खलन के कारण बंद हो चुके हैं। उत्तरकाशी जिले के स्याना चट्टी में कई मकानों में दरारें आ गई हैं जिससे लोग दहशत में हैं। जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी के जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए सलाल डैम के गेट खोलने पड़े। 2500 से अधिक सड़कें प्रभावित हुई हैं, जिनमें से केवल 60% ही बहाल हो सकी हैं। अभी भी करीब 1000 सड़कें बंद हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
जलवायु परिवर्तन और मानवीय लापरवाही ने बढ़ाई मुसीबत
भारत में इस साल जून से अगस्त के बीच सामान्य से 6% अधिक बारिश दर्ज की गई है, जो मानसून की तीव्रता में अप्रत्याशित बढ़ोतरी को दर्शाता है। जून में 9%, जुलाई में 5% और अगस्त में 5.2% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई, जो देशभर में बाढ़ और आपदा की एक प्रमुख वजह बनी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस वर्ष पिछले 15 वर्षों की तुलना में सबसे अधिक वर्षा हुई, वहीं जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में केवल 24 घंटे में 630 मिमी बारिश हुई, जो एक चौंकाने वाला आंकड़ा है। देहरादून में भी एक ही दिन में तीन बार 175 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून की इस विकरालता के पीछे जलवायु परिवर्तन की बड़ी भूमिका है। इसके अलावा नदियों के फ्लडप्लेन में अवैध निर्माण, अतिक्रमण और अनियोजित शहरीकरण ने बाढ़ की स्थिति को और अधिक भयावह बना दिया है, जिससे जान-माल की भारी क्षति हो रही है।