बिहार विधानसभा चुनाव के औपचारिक नतीजे सामने आने के बाद अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। देश के 175 प्रतिष्ठित नागरिक—जिनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश, पूर्व वरिष्ठ प्रशासक, अर्थशास्त्री, कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं—ने विपक्षी दलों को संबोधित एक खुला पत्र जारी कर चुनाव परिणामों को “अविश्वसनीय और संदिग्ध” बताया है। इस पत्र पर सबसे प्रमुख हस्ताक्षर पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी के हैं। इनके साथ कई पूर्व नौकरशाहों, शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी अपने नाम दर्ज किए हैं।
चुनाव प्रक्रिया पर गंभीर सवाल: “मतदाता सूची से छेड़छाड़ हुई”
पत्र का मुख्य आरोप यह है कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) ने पूरी चुनावी प्रक्रिया को असमान और पक्षपाती बना दिया। हस्तियों ने दावा किया—
लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए,
हर नागरिक पर नए फॉर्म भरने का दबाव बनाकर भ्रम की स्थिति पैदा की गई,
और अंतिम मतदाता सूची में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव रहा।
इनका आरोप है कि इस बदलाव का परिणाम एक ऐसी मतदाता सूची के रूप में सामने आया जिसने चुनावी संतुलन को बिगाड़ दिया और लोगों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर किया।
लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट—हस्तियों ने उठाई आवाज
पत्र में यह भी कहा गया कि मौजूदा परिस्थिति लोकतंत्र के लिए गंभीर चेतावनी है। हस्तियां लिखती हैं-“मतदाताओं को हटाना और चुनिंदा इलाकों में नए मतदाता जोड़ना, यह सब एक बड़े राजनीतिक उद्देश्य से किया गया प्रयास प्रतीत होता है।” “देश के नागरिकों के रूप में हम इस चुनाव को निष्पक्ष नहीं मानते और ऐसे जनादेश को वैधता नहीं दे सकते।” इन नागरिकों ने विपक्ष से स्पष्ट रूप से आग्रह किया कि वह नतीजों को औपचारिक रूप से खारिज करे और जनता के मताधिकार की रक्षा के लिए एकजुट होकर आंदोलन करे।
चुनाव आयोग पर कड़ा प्रहार
पत्र में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी असाधारण रूप से तीखा हमला किया गया है। हस्तियों का दावा है—
आयोग अपनी संवैधानिक भूमिका निभाने में विफल रहा,
उसके निर्णय लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर रहे हैं,
और मौजूदा नेतृत्व की कार्यप्रणाली उसे “रक्षक” से “भक्षक” की स्थिति में ले जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोग वर्तमान स्वरूप में भरोसे के योग्य नहीं रह गया है और इसे नए सिरे से, निरपेक्ष और गैर-राजनीतिक ढंग से पुनर्गठित किया जाना चाहिए।
विपक्ष की रणनीतिक कमी”—नागरिकों की नाराज़गी
खुले पत्र में यह भी उल्लेख है कि विपक्षी दलों ने नागरिक समाज और जमीनी अभियानों के साथ बेहतर तालमेल नहीं बनाया जबकि लाखों लोग मतदाता अधिकार की लड़ाई में सड़क पर उतर रहे थे।
हस्तियां कहती हैं—
विपक्ष ने बदले हुए चुनाव मॉडल में भाग लेकर अनजाने में पूरी प्रक्रिया को वैधता दे दी।
लोकतंत्र की रक्षा के लिए दलों और जनता को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
आने वाले 12 राज्यों में भी SIR लागू होने की चेतावनी
पत्र में यह भी कहा गया है कि SIR की प्रक्रिया अब 12 और राज्यों में शुरू होने वाली है।
हस्तियों ने संकेत दिया—
वे इस प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी करेंगे,
और किसी भी तरह की अनियमितता को चुनौती देंगे।
किन-किन ने किया हस्ताक्षर?
इन 175 प्रमुख हस्तियों में शामिल नाम—
बी. सुदर्शन रेड्डी (पूर्व SC जज)
देवश्याम एमजी (पूर्व IAS अधिकारी)
पराकला प्रभाकर (राजनीतिक अर्थशास्त्री)
शंकर केजी (पूर्व हाईकोर्ट जज, आंध्र प्रदेश)
प्रकाश राज (अभिनेता)
माधव देशपांडे (तकनीकी व सुरक्षा विशेषज्ञ)
राम शरण (जनतंत्र समाज, बिहार)
राशिद हुसैन (सामाजिक कार्यकर्ता)
और कई प्रतिष्ठित जन-प्रतिनिधि एवं चिंतक।