चंडीगढ़: आरटीआई एक्टिविस्ट और समाजसेवी आर के गर्ग ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि चंडीगढ़ में योजनाबद्ध तरीके से पुराने रिवाजों और परंपराओं को खत्म किया जा रहा है, जिससे आम आदमी को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ की खासियत रही है कि यह पंजाब और हरियाणा की राजधानी होने के नाते दोनों राज्यों से आने वाले लोगों के लिए सुविधाजनक ठिकाना हुआ करता था।
पंचायत भवन की जगह बना दिया यूटी 2 गेस्ट हाउस
गर्ग ने बताया कि पहले सेक्टर 18 में पंचायत भवन था, जहां पंजाब और हरियाणा से सरकारी कामकाज के लिए आने वाले लोग सस्ते दरों पर रुक सकते थे। यह भवन मूलतः जनता की सहूलियत के लिए बनाया गया था ताकि लोग सरकारी दफ्तरों में अपने काम करवाते समय वहां रुक सकें। लेकिन कुछ साल पहले योजनाबद्ध तरीके से इस व्यवस्था को खत्म कर दिया गया और वहां पर यूटी 2 गेस्ट हाउस बना दिया गया, जो अब केवल सरकारी अफसरों के लिए है। इससे आम जनता के लिए सस्ती रुकने की सुविधा समाप्त हो गई।
कम्युनिटी सेंटर का मूल उद्देश्य हो रहा खत्म
गर्ग ने कहा कि चंडीगढ़ के कम्युनिटी सेंटर का उद्देश्य था कि आम लोग वहां अपने फंक्शन, मीटिंग, पंचायत या अन्य सामूहिक कार्य कर सकें। पहले वहां बैठकों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता था और शादियों या समारोहों के लिए भी मामूली खर्च लिया जाता था। यह व्यवस्था लोगों के लिए एक बड़ी राहत थी, खासकर जब चंडीगढ़ जैसी महंगी जगह पर आयोजन करना मुश्किल होता जा रहा है।
भ्रष्टाचार और पीपीपी मॉडल पर गंभीर सवाल
गर्ग ने बताया कि अब कम्युनिटी सेंटर में भ्रष्टाचार भी शुरू हो गया है। कुछ लोग अंदरूनी मिलीभगत से कम्युनिटी सेंटर को फ्री में बुक करवाते हैं और इससे मिलने वाला पैसा एमसी के खाते में न जाकर कुछ लोगों की जेब में चला जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के बजाय उल्टा आम जनता को ही सुविधाओं से वंचित कर रहा है।
गर्ग ने कहा, "अगर अब कम्युनिटी सेंटर का किराया 40,000 से 60,000 रुपये तक कर दिया जाएगा, तो आम आदमी के लिए ये स्थान बेमानी हो जाएंगे। अगर इन्हें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत चलाया गया, तो ये सिर्फ एक कमाई का साधन बनकर रह जाएंगे और मूल उद्देश्य पूरी तरह खत्म हो जाएगा।"
आम आदमी के लिए लड़ाई जारी रहेगी
गर्ग ने स्पष्ट किया कि वे इस तरह की नीतियों का कड़ा विरोध करते हैं और प्रशासन से मांग करते हैं कि चंडीगढ़ की पुरानी परंपराओं—चाहे पंचायत भवन हो, धर्मशालाएं हों या कम्युनिटी सेंटर—को खत्म न किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ये फैसले नहीं बदले गए, तो लोग अपने समारोह और मीटिंग्स के लिए चंडीगढ़ छोड़कर पंचकूला और मोहाली जाना शुरू कर देंगे, जिससे नगर निगम की आय भी घटेगी और व्यवस्था का नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को लेकर जनता के साथ मिलकर आगे भी संघर्ष जारी रखेंगे ताकि चंडीगढ़ में आम आदमी के अधिकारों और सहूलियतों को खत्म न किया जा सके।