नई दिल्ली: सीमा पर हर तरफ बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत अपनी सैन्य ताकत को मजबूत करने में जुटा हुआ है। साथ ही भारत ने अपनी मिसाइल शक्ति को नई ऊंचाई पर ले जाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। प्रोजेक्ट विष्णु अब दुश्मनों की नींद उड़ाने वाला है। इस प्रोजेक्ट पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) तेजी से काम कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह भारत की अब तक की सबसे एडवांस हाइपरसोनिक मिसाइल टेक्नोलॉजी होगी। डीआरडीओ इस स्पेशल प्रोजेक्ट के तहत एक साथ 12 अलग-अलग तरह की हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। ये मिसाइलें इतनी तेज होंगी कि पूरे एशिया में शक्ति संतुलन बदलने की क्षमता रखती हैं। इन मिसाइलों की रफ्तार मैक 8 यानी करीब 11,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस रफ्तार को हासिल कर भारत अमरीका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा।
प्रोजेक्ट विष्णु के जरिए सिर्फ हमला करने वाली मिसाइलें ही नहीं बनाई जाएंगी, बल्कि इसके तहत इंटरसेप्टर मिसाइल सिस्टम भी बनेगा, जो दुश्मन की क्रूज या बैलेस्टिक मिसाइल को रास्ते में ही नष्ट कर देगा। यानी भारत की हवाई सुरक्षा भी पहले से कई गुना मजबूत होने की संभावना है। डीआरडीओ की योजना है कि साल 2030 तक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल तकनीक को पूरी तरह से ऑपरेशनल कर दिया जाए। इसके बाद पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को कुछ ही मिनटों में टारगेट किया जा सकेगा। इन मिसाइलों को रोक पाना दुश्मन के लिए लगभग नामुमकिन होगा।
स्क्रैमजेट इंजन से मिलेगी गजब की रफ्तार
ईटी-एलडीसीएचएम नाम की मिसाइलें स्क्रैमजेट इंजन से लैस होंगी, जो इन्हें हाइपरसोनिक स्पीड देगा। डीआरडीओ इसके लिए शुरुआती ट्रायल भी कर
चुका है। खास बात यह भी है कि इन्हें कहीं से भी मोबाइल लांचर, एयरक्राफ्ट या नेवी के युद्धपोत से दागा जा सकेगा। इन मिसाइलों की रेंज करीब 2000 किलोमीटर तक होगी और ये पारंपरिक से लेकर परमाणु वॉरहेड तक ले जाने में सक्षम होंगी। चीन जैसे देशों के एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम के लिए भी इन्हें पकड़ पाना आसान नहीं होगा। प्रोजेक्ट विष्णु पूरा होते ही भारत के पास दुनिया की सबसे एडवांस और घातक हाइपरसोनिक मिसाइल ताकत होगी, जो किसी भी दुश्मन के लिए सबसे बड़ा डर साबित होगी।