कांग्रेस ने रविवार को कहा कि विदेशी कंपनियों को भारतीय बैंकों के अधिग्रहण की अनुमति देना ‘‘अविवेकपूर्ण'' है और इससे गंभीर जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। पार्टी ने कहा कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1969 में विदेशी बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं किया था, तो जनसंघ ने उनकी आलोचना की थी। संयुक्त अरब अमीरात के एमिरेट्स एनबीडी बैंक ने आरबीएल बैंक में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी 26,853 करोड़ रुपये में खरीदने की रुचि व्यक्त की है जो कि भारत के वित्तीय क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस के संचार मामलों के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने यह टिप्पणी की।
रमेश ने ‘एक्स' पर लिखा, “विदेशी कंपनियों को धीरे-धीरे भारतीय बैंकों के अधिग्रहण की अनुमति दी जा रही है। ये अविवेकपूर्ण कदम गंभीर जोखिम पैदा कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “पहले, लक्ष्मी विलास बैंक का सिंगापुर के डीबीएस ग्रुप ने अधिग्रहण किया, और कैथोलिक सीरियन बैंक को कनाडा के फेयरफैक्स ने खरीदा। तीसरे, जापान के सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन ने येस बैंक का अधिग्रहण किया।
अब यह खबर आई है कि दुबई का एमिरेट्स एनबीडी आरबीएल बैंक का अधिग्रहण कर रहा है।” रमेश ने यह भी कहा, “भारत के निजी क्षेत्र के पहले बैंक की पूर्ण निजीकरण प्रक्रिया यानी आईडीबीआई बैंक का विनिवेश इस वित्त वर्ष में पूरी होने की संभावना है।” उन्होंने कहा कि जनसंघ ने विदेशी बैंकों का राष्ट्रीयकरण नहीं करने के लिए जुलाई 1969 में इंदिरा गांधी की आलोचना की थी।