भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को भारत के चुनावी इतिहास से जुड़े कुछ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि राहुल गांधी का ‘‘वोट चोरी'' का आरोप बेबुनियाद है और 1984 के बाद से ही कांग्रेस के चुनावी प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई है। वर्ष 1984 में कांग्रेस ने आखिरी बार लोकसभा में बहुमत हासिल किया था और 2014 में सत्ता में रहते हुए यह सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई थी।
भाजपा नेता जी.वी.एल. नरसिम्हा राव ने एक बयान में कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता का मानना है कि कांग्रेस का पतन 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद ही शुरू हुआ, जबकि यह पहले ही शुरू हो गया था। उन्होंने कहा, ‘‘सच तो यह है कि कांग्रेस 1984 में अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बाद से लगातार गिरावट की ओर बढ़ रही है। 1984 में राजीव गांधी ने 48 प्रतिशत से ज़्यादा वोट शेयर और 543 लोकसभा सीटों में से 414 सीटों के साथ भारी जीत हासिल की थी। इसके बाद के तीन दशकों में जनसमर्थन में गिरावट के बाद, 2014 में इसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन दर्ज किया गया, जब इसने 19.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 543 में से सिर्फ़ 44 सीटें जीतीं।''
राव के अनुसार, राहुल गांधी का यह कोई तर्क नहीं हो सकता कि 2014 से पहले निर्वाचन आयोग कांग्रेस के ख़िलाफ़ साज़िश रच रहा था और भाजपा के लिए काम कर रहा था, क्योंकि उस समय मनमोहन सिंह कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी का पतन 1989 से शुरू हुआ और 2014 तक जारी रहा। उन्होंने कई लोकसभा चुनावों के राष्ट्रीय और कई राज्यों के आंकड़ों का हवाला दिया।
राव ने कहा, ‘‘जनता का ध्यान खींचने के लिए राहुल गांधी दावा कर रहे हैं कि उनके खुलासे ‘एटम बम' या ‘हाइड्रोजन बम' जितनी राजनीतिक शक्ति रखते हैं और मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को नष्ट कर देंगे। पिछले चुनावों के रुझानों के विश्लेषण से पता चलता है कि उनके दावे बेबुनियाद हैं।" उन्होंने 1984 से उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और मायावती, पश्चिम बंगाल में ज्योति बसु और ममता बनर्जी, महाराष्ट्र में शरद पवार, बिहार में लालू प्रसाद और तमिलनाडु में एम करुणानिधि और एम के स्टालिन जैसे कई क्षेत्रीय नेताओं द्वारा कांग्रेस को दिए गए झटकों का हवाला देते हुए पूछा कि क्या गांधी इन नेताओं को ‘‘वोट चोर'' कहेंगे?
राव ने कहा कि 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटों की संख्या को 191 तक कम करने में वी पी सिंह के नेतृत्व वाले जनता दल की अहम भूमिका थी, जिससे पार्टी में दशकों तक गिरावट का दौर चला। उन्होंने सवाल किया कि राहुल गांधी क्या वीपी सिंह को ‘‘वोट चोर नंबर 1'' मानेंगे?