प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के महत्व पर एक लेख साझा किया और कहा कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और विकास की यात्रा का मुख्य स्तंभ है। यह लेख केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा है, जिसमें उन्होंने बदलती दुनिया में शिक्षकों की भूमिका और उनकी जिम्मेदारी पर विस्तृत विचार रखे हैं।
प्रधानमंत्री ने धर्मेंद्र प्रधान का लेख ‘द टीचर इन अ चेंजिंग वर्ल्ड’ साझा करते हुए लिखा कि इसमें एनईपी 2020 की अहमियत बताई गई है और यह भी समझाया गया है कि कैसे आज के शिक्षक डिजिटल क्लासरूम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), बदलते पाठ्यक्रम और विविध शिक्षण आवश्यकताओं को तेजी से अपना रहे हैं। इसके लिए पीएम ई-विद्या, दीक्षा और स्वयं जैसे प्लेटफॉर्म उनकी मदद कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री ने अपने लेख में लिखा कि एनईपी 2020 भारत की आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भरता मिशन 2047) की मुख्य कड़ी है और इसे एक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय प्रयास माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि नीति में शिक्षकों को सुधारक बताया गया है, जो आने वाली पीढ़ियों को जिम्मेदार, कुशल और संतुलित नागरिक बनाएंगे।
धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा, “माता-पिता जन्म देते हैं, गुरु जीवन देते हैं। ये जीवनदाता उस भव्य इमारत की आत्मा हैं। स्कूल की इमारत सरकार बना सकती है, लेकिन उसमें प्राण फूंकने का काम शिक्षक करते हैं।” गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के भाषण और अन्य मंचों से भारत को 2047 तक आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने का आह्वान किया था। उन्होंने ‘आत्मनिर्भरता’ और ‘स्वदेशी अपनाने’ की अपील भी बार-बार दोहराई। बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू हुए पांच साल पूरे हो गए हैं। इस नीति ने भारत की शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए एक महत्वाकांक्षी खाका तैयार किया है। इसमें 5+3+3+4 संरचना और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 शामिल है, जो बच्चों में अनुभवात्मक और दक्षता-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देती है और उन्हें केवल किताबों, अंकों या रटने तक सीमित नहीं रखती।