नई दिल्ली; भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो गया है, लेकिन इस संघर्ष के दौरान चीन और तुर्किये (पुराना नाम तुर्की) के अलावा एक और देश अजरबैजान का चेहरा बेनकाब हो गया है, जिसने भाईजान बनकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। बड़ी बात यह है कि इन देशों की अर्थव्यवस्था में भारत का बड़ा योगदान है। यानी ये देश कमाई भारत से करते हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहे हैं। अब भारत ने दुश्मन देश के इन साथियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और चीनी सामान की तरह तुर्किये के सामान का बहिष्कार भी शुरू हो गया है। पाकिस्तान का खुलेआम समर्थन करने के बाद देशभर में बॉयकॉट तुर्किये अभियान ने जोर पकड़ लिया है। महाराष्ट्र के पुणे से लेकर राजस्थान के उदयपुर तक व्यापारियों ने तुर्की से आयातित वस्तुओं का बहिष्कार कर तुर्की को आर्थिक मोर्चे पर जवाब देने का ऐलान कर दिया है। भारतीय व्यापारियों ने तुर्किये से सेब के आयात से इनकार कर दिया है। व्यापारियों का कहना है कि तुर्किये, पाकिस्तान को ड्रोन भेजता है। इन्हीं ड्रोन्स से पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया। अब हम तुर्किये के सेब नहीं बेचेंगे। भारत तुर्किये से सालाना 1200 करोड़ रुपए का सामान आयात करता है। इसमें सेब की बड़ी मात्रा शामिल है। वहीं, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) ने तुर्किये की इनोनू यूनिवर्सिटी के साथ करार (एमओयू) खत्म कर दिया है। जेएनयू ने एक्स पर लिखा कि हम देश के साथ खड़े हैं। गौर हो कि तुर्किये ने भारत के खिलाफ अपना रंग तब दिखाया है, जब दो साल पहले ही वहां विनाशकारी भूकंप के दौरान भारत ने दिल खोलकर उसकी मदद की थी। ऐसे में भारतीयों ने अब इनका विरोध करना शुरू कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी तुर्किये और अजरबेजान के बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है।
व्यापारियों के संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी भारतीय व्यापारियों और नागरिकों से मौजूदा शत्रुता के बीच पाकिस्तान का खुला समर्थन करने के जवाब में तुर्किये और अजरबेजान की यात्रा का पूरी तरह से बहिष्कार करने का आह्वान किया है। चीनी उत्पादों का बहिष्कार पहले से ही जारी है और इसका काफी प्रभाव भी पड़ा है। अब सीएआईटी का इरादा इस आंदोलन को तुर्किये और अजरबेजान तक बढ़ाने का है। संगठन इस अभियान को तेज करने के लिए ट्रैवल और टुअर ऑपरेटरों और अन्य संबंधित हितधारकों के साथ सहयोग करेगा। सीएआईटी के महासचिव और चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने बुधवार को यह अपील की और इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान के भाईजान तुर्किये और अजरबेजान की यात्रा का बहिष्कार करने से इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं, खासकर उनके पर्यटन क्षेत्र पर काफी असर पड़ सकता है।
तुर्किये-चीन के सरकारी चैनलों के एक्स अकाउंट ब्लॉक
नई दिल्ली। भारत सरकार ने बुधवार को तुर्किये के सरकारी चैनल टीआरटी वल्र्ड और चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ के एक्स अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं। इन पर भारत विरोधी प्रोपेगैंडा चलाने और सेना के बारे में गलत खबरें फैलाने का आरोप है।
तुर्किये को 291.6 मिलियन डालर का झटका
2024 के आंकड़ों के अनुसार तुर्किये में करीब 62.2 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जिनमें करीब तीन लाख पर्यटक भारतीय थे। वहां एक भारतीय पर्यटक औसतन 972 अमरीकी डालर खर्च करता है। इस तरह कुल भारतीय व्यय 291.6 मिलियन अमरीकी डालर है। अगर भारतीय पर्यटक तुर्किये का बहिष्कार करते हैं, तो उसे लगभग 291.6 मिलियन अमरीकी डालर का प्रत्यक्ष नुकसान हो सकता है। तुर्किये की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 12 फीसदी है।
अजरबेजान के डूबेंगे 308.6 मिलियन डालर
अजरबेजान में 2024 में लगभग 2.6 मिलियन विदेशी पर्यटक आए, जिनमें से लगभग 2,50,000 भारतीय थे। एक भारतीय पर्यटक वहां औसतन 1,276 अमरीकी डालर खर्च करता है, जिससे कुल भारतीय योगदान लगभग 308.6 मिलियन अमरीकी डालर हो गया। इसलिए भारतीय पर्यटकों द्वारा बहिष्कार से अजरबेजान को 308.6 मिलियन अमरीकी डालर का सीधा नुकसान हो सकता है। अजरबेजान की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 10 फीसदी है।