कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोमवार को कहा कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू का यह दावा ‘‘पूरी तरह झूठा'' है कि सरकार ने विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों के लिए मुख्य विपक्षी दल से चार नाम नहीं मांगे थे। उन्होंने यह दावा भी किया कि प्रतिनिधिमंडलों के लिए नामों की स्वीकृति नहीं लेकर सरकार ने तुच्छ राजनीति की है और विदेशी दौरों पर कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहने तथा उसे बदनाम करने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अब उसकी मदद ले रहे हैं क्योंकि उनका विमर्श ‘पंचर' हो चुका है। रीजीजू ने एक मीडिया कंपनी से बातचीत में कहा है कि सरकार ने कांग्रेस से चार नाम नहीं मांगे थे, बल्कि प्रतिनिधिमंडलों के संदर्भ में शिष्टाचार के चलते उसे सूचित किया था। इस बारे में पूछे जाने पर रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘यह पूरी तरह झूठ है। रीजीजू झूठ बोल रहे हैं।''
उन्होंने कहा कि रीजीजू ने 16 मई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से फोन पर बात की और विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों के लिए चार नाम मांगे। रमेश के मुताबिक, उसी दिन राहुल गांधी ने चार नेताओं के नाम प्रस्तावित करते हुए रीजीजू को पत्र लिखा था। उनके अनुसार, ‘‘हमने जो चार नाम सुझाए थे, उनमें से सिर्फ एक नाम (आनंद शर्मा) प्रतिनिधिमंडल के लिए चुना गया और पार्टी से ही चार अन्य नाम चुने गए जो हमने नहीं सुझाए थे। इन चार नामों को लेकर उन्होंने पार्टी से कोई बात नहीं की। सरकार के स्तर पर तो यह अनुचित है। असल में यह तुच्छ राजनीति है। सरकार को सभी नामों की स्वीकृति पार्टी से लेनी चाहिए थी।''
रमेश ने कहा कि इसके बावजूद कांग्रेस के ये सभी नेता प्रतिनिधिमंडल में शामिल होकर जाएंगे क्योंकि कांग्रेस हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोच्च मानकर राजनीति करती है। कांग्रेस ने ‘ऑपरेशन सिंदूर' के बाद वैश्चिक मंच पर भारत का पक्ष रखने के लिए जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों में अपने चार नेताओं आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, सैयद नासिर हुसैन और अमरिंदर सिंह राजा वडिंग को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था। सरकार ने जब प्रतिनिधिमंडलों में शामिल नामों की सूची जारी की तो इन चारों में से सिर्फ शर्मा का नाम उस सूची में शामिल था। कांग्रेस के चार अन्य नेताओं- शशि थरूर, मनीष तिवारी, अमर सिंह और सलमान खुर्शीद को सरकार ने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया है जो पार्टी द्वारा भेजी गई सूची का हिस्सा नहीं थे।
रमेश ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘यह वही प्रधानमंत्री हैं, जो कभी कतर, कभी अमेरिका, कभी ऑस्ट्रेलिया में..., हर जगह कांग्रेस के बारे में बुरा-भला कहते थे। अब वह कांग्रेस की मदद ले रहे हैं। असल में यह ‘डैमेज कंट्रोल डेलीगेशन' हैं... उनका विमर्श पंचर हो चुका है।'' बाद में उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘11 वर्षों तक विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस को गालियां देने और बदनाम करने के बाद अब प्रधानमंत्री को मजबूरन सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश भेजना पड़ रहा है। सच यह है कि भाजपा की जहरीली घरेलू राजनीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को भारी नुकसान पहुंचाया है। मोदी सरकार की ढकोसले भरी कूटनीति बुरी तरह विफल रही है और भारत को एक बार फिर पाकिस्तान के साथ एक ही तराजू में रखकर देखा जा रहा है। यही है असली ‘न्यू नॉर्मल।''
उन्होंने दावा किया कि ‘स्वयंभू विश्वगुरु' का गुब्बारा, जो सिर्फ गर्म हवा से भरा हुआ था, अब उसमें से हवा पूरी तरह निकल चुकी है। रमेश ने कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री की अपनी सीमाओं और विफलताओं का प्रतिबिंब है - जो अब पूरी तरह उजागर हो चुकी हैं तथा उन्हें अब अचानक दलगत एकता की शरण लेनी पड़ रही है। लेकिन यह कोशिश भी क्षणिक, पाखंडपूर्ण, और अवसरवादी है।'' रमेश ने दावा किया कि 2008 के मुंबई हमले के बाद पूरी दुनिया में पाकिस्तान की निंदा हुई थी, लेकिन आज स्थिति यह है कि भारत को पाकिस्तान के समानांतर खड़ा किया जा रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘एक तरफ यह प्रतिनिधिमंडल जा रहे हैं, लेकिन दूसरी तरफ देश में राजनीतिकरण किया जा रहा है। कर्नल सोफिया कुरैशी को निशाना बनाया गया, विदेश सचिव को ट्रोल किया गया... अब तो रेलवे टिकट पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर ‘ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख करते हुए है। पहले कोविड टीकाकरण के प्रमाणपत्र पर भी उनकी तस्वीर थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर' का राजनीतिकरण लगातार किया जा रहा है।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप (सरकार) देश के अंदर जहरीली और ध्रुवीकरण की राजनीति करेंगे तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपका विमर्श नहीं बदलेगा।'' रमेश ने यह मांग दोहराई कि सरकार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए।