जाडला (मनोरंजन कालिया) : सरदार दिलबाग सिंह (एस.डी.एस.) राजकीय कॉलेज, जाडला ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत की 350वीं दिवस के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया।
यह कार्यक्रम पंजाब सरकार की तरफ़ से गुरु जी की शहादत के उपलक्ष्य में करवाए जा रहे समागमों की श्रृंखला का हिस्सा था जिसका उद्देश्य छात्रों में गुरु साहिब द्वारा प्रचारित "धार्मिकता, सत्य और न्याय" के मूल्यों को स्थापित करना है। कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) हरजिंदर सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। जाने-माने विद्वान प्रो. अपिंदर सिंह माहिलपुरी ने मुख्य व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि नौवें सिख गुरु - श्री गुरु तेग बहादुर जी के बहुआयामी शिक्षण और सर्वोच्च बलिदान आधुनिक समय में भी गहरे मायने प्रदान करते हैं।
प्रो. माहिलपुरी ने बताया कि गुरु साहिब ने सत्य, अहिंसा और सार्वभौमिक परोपकारिता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता बनाए रखी। उन्होंने अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव और छुआछूत का अथक मुकाबला करते हुए प्रत्येक व्यक्ति के गरिमा और पसंद के जीवन के अधिकार की वकालत की। उन्होंने जोर देकर कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने न केवल सिख धर्म के लिए, बल्कि भारत में सभी धर्मों की मौलिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया। उन्होंने छात्रों से गुरु की शिक्षाओं और अटूट आध्यात्मिक दृढ़ विश्वास को आधुनिक जीवन के आदर्शों के रूप में अपनाने का आग्रह किया।
श्री गुरु गोबिंद सिंह खालसा कॉलेज, माहिलपुर के प्रिंसिपल डॉ. परविंदर सिंह ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। उन्होंने शहादत को "मानवता की रक्षा के लिए एक अद्वितीय बलिदान" बताया और युवाओं से गुरु की शिक्षाओं को अपने दैनिक जीवन में अपनाने की अपील की।
प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) हरजिंदर सिंह ने कहा कि ऐसी शैक्षणिक पहल युवाओं में धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों को विकसित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी कमजोरों और वंचितों के रक्षक के रूप में खड़े हुए। उनके जीवन ने सच्चे धर्म के सर्वोच्च कर्तव्य को प्रदर्शित किया: मानवता की सेवा करना और सभी के प्रति अच्छा होना। कॉलेज ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन पर एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता भी आयोजित की और विजेताओं को सम्मानित किया ।