गुरुवार दोपहर करीब 12:30 बजे किश्तवाड़ जिले के पाडर इलाके के चशोती गांव में अचानक बादल फटने से भारी तबाही मची। मचैल माता मंदिर के यात्रा मार्ग पर हुई इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। 200 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। वहीं, करीब 100 लोग घायल हैं, जिनमें से 37 की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को किश्तवाड़ और पाडर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। जिला प्रशासन और पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
आपदा का केंद्र चशोती गांव
मचैल माता मंदिर की यात्रा के लिए श्रद्धालु मोटर वाहन से चशोती गांव तक पहुंचते हैं, जो किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है। इसके बाद उन्हें करीब 8.5 किलोमीटर पैदल चलना होता है। बादल फटने के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा थे। इसी कारण इस हादसे में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है।
बाढ़ से तबाही, लंगर प्रभावित
बादल फटने से अचानक बाढ़ आई, जिसने दुकानों, सुरक्षा चौकी समेत कई इमारतों को नुकसान पहुंचाया। श्रद्धालुओं के लिए लगाई गई लंगर सेवा भी बाढ़ की चपेट में आ गई। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा ने तुरंत बचाव दल को घटनास्थल के लिए रवाना किया और स्वयं भी बचाव कार्यों की निगरानी के लिए मौके पर गए।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा कि प्रशासन बचाव कार्य में पूरी ताकत से जुटा हुआ है। उन्होंने बताया कि किश्तवाड़ उपायुक्त से बात की गई है और राहत कार्य तेज़ी से चल रहे हैं। एनडीआरएफ की दो टीमों को उधमपुर से किश्तवाड़ भेजा गया है।
मचैल माता यात्रा रद्द
इस हादसे के कारण मचैल माता मंदिर की वार्षिक यात्रा को रद्द कर दिया गया है। अधिकारी बचाव और राहत कार्यों पर पूरी तरह ध्यान दे रहे हैं। पहाड़ी इलाके में अचानक आई बाढ़ से कई घर प्रभावित हुए हैं।
उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री ने जताया शोक
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस आपदा पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना जताई है। उन्होंने बचाव दल को तेजी से राहत कार्य करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रभावित लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की और हर संभव सहायता का भरोसा दिया है।